होली ख्याल-चौमासा – होठ गुलाबी म्हारा खिल रया गाल

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बीकानेर में होली पर मुख्य चौक में रम्मतों का दौर चालू है । ये रम्मतें किसी मंच स्टेज पर न होकर बालू मिटटी बिछाकर या फिर पाटों पर होती है और काफी लोग दूर दूर से यहाँ रम्मतें देखने के लिए आते है । यहाँ स्वांग मेहरी, हदाऊ-मेहरी, अमरसिंह राठौड़, शहजादी राममते होती है । रम्मतों में सबसे पहले भगवान गणपति या माता आशापुरा अखाड़े में आती है और लोग भाव व् श्रधा से प्रसाद आदि चढाते है. राम्म्तो में चौमासा व ख्याल गाया जाता है जो रम्मत के कलाकार व् तेर मण्डली गाती है. चौमासा में प्रेम सौन्दर्य का बखान तथा ख्याल में वर्तमान व्यवस्था चाहे वो सामाजिक हो, राजनैतिक हो, सब पर करार व्यंग करके उन्हें सुधार करने का सुझाव और मांग की जाती है.. स्वयं राजनेता व अन्य वर्ग के लोग इसको सुनने व् देखने के अखाड़े में आते है. बारह गुवाड़ में स्वांग मेहरी रम्मत दासी व् बंशी महराज की होती है, इस बार उन्होंने सरकार व मनमोहन जी को लेकर ख्याल बनाया गाया है ।
होली गीत चौमासा (प्रेम रस)- होठ गुलाबी म्हारा खिल रया गाल
बीकानेर में इस साल दासी- बंशी की स्वांग मेहरी रम्मत में गाया जाने वाला प्रेम व सौन्दर्य रस प्रधान चौमासा गीत जिसको लिखा है श्री बंशीधर जी ने।
–इण सावे में फेरा ,लिया बालम मेरा, क्या सोच रया थे कमाने में,
पिया उम्र मेरी सोलह साल, होठ गुलाबी म्हारा खिल रया गाल
रंग रसिया चौमासे,घुमोला पिया शहर बिकाने में ।।
कलि- आशा ड आयो रे, ओ बलमा पवन बहे पुरैया ,गगन में बादल छायोरे
भेटी- देखो मस्त जवानी, म्हारा चतुर सैलानी, दीजो थे ध्यान सिधाने में
कलि- सावन में छावे रे, ओ सजना, उमड़ घुमड़ बदलियाँ, गरज कर, मेह बरसावें रे
कलि- मोर पैपेया रें,ओ कोयल कुहू कुहू की आवाज, मधुर धुन तेज़ा गावे रे
भेटी- मगरे री सैल, स्वीमिंग पेल, सब मस्त होय रया नहावन में
कलि- भादू में छाई रे, कलायन मुसळधार बहे, तलैया सब भर जसी रे
कलि- श्रंगार सोलह रे, चोउतिने कुवे ऊपर जाय, दर्श देवे गवरल प्यारी रे
भेटी- चढ़ एयर मेल, घुमो जैसलमेर ,संग कजली तीज जोधाने में,
कलि- आशु में जमोनो रे ,कृपा करी भैरुनाथ महाराज,धन मोती निपजायो रे
कलि- नहीं जाऊ प्यारी ए, मगन हुय तिरिया कर श्रंगार अंग सु अंग लिप्तायो रे
भेटी- बंशी पुजारी किशन,काश मुन्ना जुनी मण्डली आनंद लेवे गाने मेंहोली रम्मत ख्याल -पंडो छूटे गुड्कनियो सूं, है चम्मचा बेकार
–मोहन थारे राज में हो रया बेहद अत्याचार
हो हो हो बिगड़ गे आचार ,
दुष्कर्म हुवे दिन धाड़े,शासन इनको नहीं ताड़े,
उबारो प्रभु,लेके नयो अवतार ।।
कलि-घर बाहर हो या रास्ता, बस रेल हवाई दस्ता
ग्रहणी या हाथ बस्ता, अबला की हालत खस्ता,
भेटी-सरे आम इज्जत को लुटे, है महिला लाचार ।।
कलि-जिसे लड़ प्यार सूं पाली,बा लव मैरिज कर चली,
नहीं जात पात की गाली, हद बिगड़ी प्रेम री डाली,
भेटी-चंड मुंड महिषासुर मर्दिनी, करो कोई उपचार ।।
कलि-नित बढ़ रही महंगाई, हुई दुर्लभ पेट भराई,
रिश्वत खोरी हद छाई, हुवे कोकर अबे समाई,
भेटी-चारो खोनी बेसुमारी,फैल्यो भ्रष्टाचार ।।
कलि-आतंक छा रह्यो भारी, दहशत में दुनिया सारी,
घुसपैठ घुसे बम धारी,विस्फोट करे मनधारी,
भेटी-धमकी देकर उधम मचावे,है थोने धिक्कार ।।
कलि-खुर चंदिया गोधम घाले,नहीं कोई बोने पाले,
हर रोज करे घोटाले, शकुनि री चल चाले.
भेटी-पंडो छूटे गुड्कनियो सूं, है चम्मचा बेकार ।।
कलि-यदि शासन करना चावो,जनता रे सोमे आवों,
कुछ नई योजना लावो, सगलो रा काम करावो,
भेटी-माथे सट्टे माथो लावो, जद मानो सरदार
कलि-ये भारत देश हमारा, है प्राणों से भी प्यारा
दुखड़ा मिट जावे सार, जय हिन्द का बोलो नारा,
भेटी-बंशी- पुजारी, भोली केवे, सुखी हुवे संसार ।।

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