हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन कपिल मुनि कोलायत का मेला भरता है लेकिन इस बार कोरोना के चलते इसे रद्द कर दिया गया है लेकिन हम हमारे यूट्यूब चैनल के माध्यम से कोलायत की ऐसी जानकारी लेकर आये है जो सायद ही आपको मालूम हो। भारत मे कपिल मुनि के कितने मंदिर है ? बीकानेर के कोलायत का कपिल मुनि मंदिर सबसे खास महत्व क्यो रखता है ? यह मंदिर कब और किसके द्वारा बनाया गया था ? यहाँ साधु संत क्यो आते है ? नागा बाबा के यहाँ…
Read MoreCategory: बीकानेर
ऐसी 20 वजह जिसके कारण बीकानेर शहर पूरी दुनिया में विख्यात है
बीकानेर स्थापना दिवस पर विशेष रूप से आप सबके लिए ऐसी जानकारी लेकर आये है जो शायद आपको मालूम नहीं है बीकानेर में दुनिया की ऐसी जगह और शहर से जुड़े ऐसे तथ्य जो सिर्फ बीकानेर से जुड़े है ऐसे चीज़े जो सिर्फ बीकानेर में है और दुनिया में कहीं नहीं तो जरूर देखिये ये वीडियो जो आपको जरूर पसंद आएगा …
Read Moreभुजिया के अविष्कार की पूरी कहानी जानिए
बीकानेर का भुजिया विश्व प्रसिद्ध है और इसको सबसे पहले बीकानेर में ही बनाया गया था आज बीकानेर के हल्दीराम बीकाजी और अन्य कई ऐसे ब्रांड है जो भुजिया नमकीन मिठाई विदेशो में भी एक्सपोर्ट करते है। तो आज आप जानिए कैसे सबसे पहले हुई थी शुरुआत..
Read Moreधींगा गवर और पंथवाडी माता की कथा व कहानियां
धींगा गवरजा की कहानी ( मोम की गुडीया ) कैलाश पर्वत पर शिव – पार्वती बैठा था चैत्र माह शुरु होते ही ” गवरजा ” रा ” बालीकाओं कन्याओं ” द्वारा पूजण शुरु हो गया । पार्वती शिवजी सू बोली कि मैं भी म्हारे पिहर जावणो चाहू , आप हुकम करो तो । महादेव जी बोल्या , म्हारी भांग घोटण री व्यवस्था कूण करसी जने पार्वती व्यवस्था रे रूप में एक मोम री गुडिया बनाई और आपरी शक्ति सू उसमें जीव डाल दिया , बा चेतन हो गई पार्वती बे…
Read Moreदेखें वे गीत जो गणगौर में दोपहर के समय गाए जाते है
गणगौर में दोपहर में गाए जाने वाले गीत – नौरंगी गवर म्हारी चाँद गवरजा , भलो ए नादान गवरजा रत्नों रा खम्भा दीखे दूर सू , बम्बई हालो , लाखों पर लेखण पूरब देश में , कलकते हालो , गवरयो री मोज्यों बीकानेर में गढ़न कोटां सूं उतरी सरे , हाथ कमल केरो फूल शीश नारेळां सारियो सरे , बीणी बासक नाग रे | | बम्बई . . . बम्बइ . . . . . (1) चोतीणे रा चार चाकलिया , बड़ पीपल बड़ है भारी बड़ पीपल बड़ है…
Read Moreगणगौर में सुबह गाए जाने वाले गीत देखें
गणगौर सुबह के गीत – उठी – उठी- उठी – उठी गवर निन्दाड़ो खोल निन्दाड़ो खोल , सूरज तपे रे लिलाड़ एक पुजारी ऐ बाई म्हारी गवरजा , गवरजा , ज्यों रे घर रे टूठे म्होरी माय अन्न दे तो धन दे , बाई थरि सासरिये , पीवरिये , अन्न धन भया रे भण्डार ! डब्बा तो भरिया ए बाई थारे गैनों सु गोंठो सु, माणक मोती तपे रे लिलाड़, उठी – उठी गवर निन्दाड़ो खोल निन्दाड़ो खोल.. खोल कीवाडी- गवर गवरादे माता खोल किवाड़ी , ऐ बाहर उभी थोने…
Read Moreहोली के बाद जाम बीज को पापड़ उवारना भी जरूरी
होली खेलने के बाद राम राम वाले दिन या उसके अगले दिन द्वितीया को जिसे जाम बीज या जमला बीज भी कहते है, इस दिन बहन भुआ या स्वास्नी अपने भाई भतीजे आदि को उनके ऊपर से एक उतारा करने की परम्परा है। पानी का लौटा, तला पापड़, कैर, काचरी व फली तली हुई लेकर उपर से उवारती है यानी क्लॉक वाइज घुमाती हैं फिर घर से बाहर जाकर पापड़ आदि सामग्री सड़क पर रख उसके चारों ओर एक वृत्ताकार घेरा यानि चक्रिया बनाती है । सामग्री को सड़क पर…
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