चूहों री घुड दौड़ …कुत्तों री कुश्ती ….सांड ओ ओ ड्र… ड्र.. ड्र..

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चूहों री घुड दौड़ …कुत्तों री कुश्ती ….सांड ओ ओ ड्र… ड्र.. ड्र..
अरे भाई ! आ बात सही है …आपोरे शहर री तो हालत आईज है….चूहे रे काटने रो इलाज करवाने बीमार अस्पताल में भर्ती…और रात बेइज जागा फेर चूहों कट्ग्यो……क्युकी अठे तो रात में चूहों री घुड दौड़ लागे….और कुत्ता तो बड़े आराम सु पूरी फौज साथै …चौक और मोहल्ले रे सागे सागे अस्पताल में भी कई बार दंगल कर जोर अजमाइश करे…! अरे हाँ.., सांड तो बीकानेर री पहचान बनग्या शहर रे चौक में…सांड नजर नि आवे तो लगेइज कोणी के बीकानेर है….गली तो छोडो..अबे तो अस्पताल रे आसे पासे भी खूब नजर आवे…,सांड रे पटकने रो इलाज करवाने आवन वाला तो अस्पताल रे पास सांड देख बेचारा उलटे पांव भाग जावे …बाने लागे ओ फेर पटकन वास्ता खड्यो है….;अरे , कोई तो शुध लेवो म्हारे बीकानेर री…,अबार बीकानेर रो जन्म दिन है..बेटिरा बापों…कई तो करो…….।

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