वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि पुष्करणा समाज का ‘ओलम्पिक सावा’ पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। यह संस्कृति और परम्पराओं को जीवंत रखने में सहायक है। आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग बीकानेर की इस पुरातन परम्परा को देखने आते हैं। रमक-झमक द्वारा सावे की परम्परा संरक्षण के लिए किया जा रहा कार्य अनुकरणीय है। छंगाणी बुधवार को रमक-झमक संस्था द्वारा बारहगुवाड़ स्थित कार्यालय में रमक-झमक पुष्करणा सावा-2017 के फोल्डर के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देखादेखी की हौड़ में…
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