सनातन धर्म में शरीर मन और अध्यात्म की सबसे उत्कृष्ट अवस्था को पाने के लिए ब्रह्मचर्य का आचरण करने को कहा गया है ब्रह्मचर्य के आचरण से आप यशस्वी बलवान और ज्ञानवान बनते हैं सत्य आपके मुख पर तेज की तरह चमकता है लेकिन आज समाज में ब्रह्मचर्य को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां है। समाज में अविवाहित पुरुष या स्त्री को ही ब्रह्मचारी माना जाने लगा है। अब विवेकानंद और दयानंद सरस्वती और अन्य महापुरुषों को इसलिए ब्रह्मचारी नहीं मानते कि वह ज्ञानी थे हम इसलिए मारते हैं क्योंकि वह…
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देव उठनी एकादशी, जानिए कब होगा तुलसी विवाह और व्रत
देवउठनी एकादशी तिथि सभी एकादशी तिथियों में महत्वपूर्ण है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकदशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहते हैं। देव उठनी एकादशी को देवउठनी एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी और उत्थान एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चार माह बाद योगनिंद्रा से जागते हैं और पृथ्वी के समस्त कार्यों को एक बार फिर अपने हाथों में ले लेते हैं। चार महीनो के बाद देव उठनी एकादशी से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। देवउठनी एकादशी के दिन होता है तुलसी –…
Read Moreक्या है धनतेरस का अर्थ क्यों मनाते है क्या है इसका महत्व
धनतेरस का अर्थ क्या है ? इस त्यौहार को क्यों मनाते है ? क्या धनतेरस को धन से जोड़कर देखना सही है ? और इस त्यौहार को क्यों मनाया जाता है धनतेरस का क्या महत्त्व है ? धनतेरस के दिन क्या खरीददारी करना शुभ माना जाता है ? अगर ये जानने की जिज्ञासा आप रखते है तो हम आपको ये सभी जानकारी देने जा रहे है। क्या है धनतेरस का अर्थ और क्यों मनाया जाता है पांच दिन के दीपावली पर्व को एकीकृत रूप में देखा जाता है इसके हर…
Read More‘करवो ले करवो ले व्रत भोंगनी करवो ले ‘ जानिये करवा चौथ की कथा और चंद्रोदय का समय
सुहागिन महिलाओं में जिस व्रत का उत्साह कई दिन पहले शुरू हो जाता है वह करवा चौथ का व्रत आ रहा है। किसी भी व्रत का आधार आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक होता है। जब आप व्रत रखते हैं, तब आपका पूरा शरीर शुद्ध हो जाता है। जब शरीर में से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं, तब मन तीक्ष्ण होता है। ऐसी अवस्था में आप जो भी इच्छा करते हैं या जिस भी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, वह पूरा होता है। यह श्रद्धा है, नियम भी है और इसका…
Read Moreमेले मगरिये, कौनसा मेला कब कहां और क्या खास, देखे कैलेंडर
पूरे साल में जिस त्योहार और मेलो का सबसे ज्यादा इंतजार रहता है वो अब शुरू हो चुके है। इसके बारे में कहावत भी प्रचलित है – ‘तीज त्योहारा बावड़ी, ले डूबी गणगौर’ इसका अर्थ है तीज से त्योहारों की शुरुआत हो जाती है और गणगौर आते ही समापन हो जाता है। अब तीज से त्योहारों और पर्व की शुरुआत हो चुकी है और इसके लिए रमक झमक आपको ‘ मेला मगरिया व त्योहार ‘ का कैलेंडर तिथि उपलब्ध करवा रहा है। चौमासे में चार महीनें तक कोई भी पर्व…
Read Moreबारहमासा गणगौर कथा व व्रत की सम्पूर्ण विधि तथा नियम
यह व्रत चैत्र सुदी रामनवमी के दिन शुरू होता है। यह सुहागन औरतें ही करती है। अखंड सुहाग, मंगल कामना, वंश वृद्धि, सद्बुद्धि व मोक्ष के लिए व्रत किया जाता है। एक कहानी के अनुसार इस व्रत को सर्वप्रथम राजा युधिष्ठिर व द्रोपदी ने भगवान कृष्ण से आज्ञा प्राप्त करके किया। जिससे मोक्ष प्राप्त हुआ। यह व्रत रामनवमी से एकादशी तक यह किया जाता है। वैधव्य से छुटकारा दिलाता है ये व्रत – बारहमासा गवर की पूजा विधवा स्त्री भी कर सकती है विधवाओं को भी इस व्रत उपवास के…
Read Moreहोली पर हुड़दंग और पौरुष शक्ति के देवता इलोजी
होली पर हुड़दंग और पौरुष शक्ति के देवता इलोजी इलोजी की होली के हुड़दंग देवता, फागण के देवता, पौरुष शक्ति के देवता के रूप में पूजा की जाती है। पुरुष तथा महिलाएं दोनों ही इनकी पूजा करते हैं। पुरुष अपना पौरुष और यौन शक्ति बढ़ाने के लिए तथा महिलाएं पुत्र की चाह में इनकी पूजा करते हैं। होली के अवसर पर राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रो में इलोजी की प्रतिमाएं किसी बड़े चौक चौराहों पर बनी हुई है। कुछ जगहों पर इलोजी को नाथुरामजी नाम से भी जाना जाता है। होलिका…
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