बीकानेर रेलवे स्टेशन पर लगे पुष्करणा सावा संस्कृति के होर्डिंग्स

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बीकानेर। भारत में विवाह की अनूठी व पौराणिक संस्कृति है । पुष्करणा सामूहिक ‘सावा’ जिसको देखने व शामिल होने के लिये देशभर से लोग आते है। इसलिए रमक झमक की ओर से बीकानेर रेलवे स्टेशन के अंदर और बाहर पुष्करणा सावा संस्कृति की झलकी सहित स्वागतम् के फ्लेक्श व होडिंग लगाए गए है। कई अन्य शहरों में भी हमारी संस्कृति के फ्लेक्स लगाने का प्रयास किया जा रहा है। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने बताया कि इस बार खासतौर से देश व विदेश से सावा देखने व…

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पुष्करणा सावा पौराणिक संस्कृति अक्षुण रखती है रमक झमक संस्था -मंत्री बी डी कल्ला

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बीकानेर। उर्जा व जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ.बुलाकी दास कल्ला ने कहा है कि पुष्करणा समाज का 21 फरवरी 2019 को होने वाला सामूहिक सावा संस्कृतिक धरोहर व परम्परा का प्रतीक है।रमक झमक जैसी संस्था पौराणिक संस्कृति को अक्षुण रखने के लिये कार्य कर रही है जिसकी सराहना की जानी चाहिये,उन्होंने आवाह्न किया कि युवक-युवतियों का विवाह सावे में अधिकाधिक संख्या में करें, जिससे हमारी वर्षों पुरानी यह परम्परा भी जीवित रहेगी । डाॅ.कल्ला मंगलवार को बारह गुवाड़ चौक में पुष्करणा समाज के सामूहिक सावे पर सेवा व सुविधा देने…

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*बीकानेर की होली एक -दो -साढ़ा तीन !*

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*बीकानेर की होली एक -दो -साढ़ा तीन !* (रमक झमक) खट्ट खट्ट खटा आ खट्ट ! होली !! डांडिया !! बीकानेर की होली का एक रंग हे मरुणायक चौक का एक दो ढाई और एक दो साढ़ा तीन ताल रिदम पर डांडिया । भले ही गुजरात का गरबा व् डाँडिया आपने देखा हो लेकिन बीकानेर पर होली के डाँडिया अगर नही देखा तो डाँडिया देखना अधूरा है । डाँडिया लड़ाना बड़ी बात नही लेकिन ढोल की स्वर ताल व् थाप पर डांडियों की आवाज व् रफ्तार बदलना और लड़ाने वाले…

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पुष्करणा सावे पर अभिनव प्रयोग स्कुल कालेज के सामने बालिका पढाई व् कुरीति दूर करने की पेरॉडी गीत

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पुष्करणा सावे पर अभिनव प्रयोग स्कुल कालेज के सामने बालिका पढाई व् कुरीति दूर करने की पेरॉडी गीत ॐ ना सुषि सा..कुरीतियों ने घटाओ सा.. देश ने बढ़ाओ सा.. पुष्करणा सावे रे माथे टाबर ने परणाओ सा.. पेचा ओढा मिलणी कम आपो ने करनी.. नई करो ला नई मिले ला टाबरो ने बीनणी… स्कूल कॉलेज से हर परिवार व समाज में कुरीतियों को दूर करने का सन्देश लेकर रमक-झमक की टीम पहुँच रही है आज रमक-झमक ने इन सन्देश को पेरॉडी गीत के रूप में लेकर पहुंची नत्थूसर गेट के…

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‘सावा संस्कृति का सम्मान’ कार्यक्रम मे हुआ रोबीलों का सम्मान

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‘सावा संस्कृति का सम्मान’ कार्यक्रम मे हुआ रोबीलों का सम्मान बीकानेर, 8 जनवरी। रमक-झमक संस्था द्वारा रविवार को बारहगुवाड़ में ‘सावा संस्कृति का सम्मान’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहर की लोक एवं पुष्करणा सावा संस्कृति को बढ़ावा देने वाले रोबीलों एवं शंखवादक का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बार एसोशिएसन के अध्यक्ष कमल नारायण पुरोहित ने कहा कि रोबीलों ने बीकानेर की संस्कृति को देश और दुनिया में विशिष्ठ पहचान दिलाई है। ऊँट उत्सव के अलावा पुष्करणा समाज की सावा संस्कृति एवं पारम्परिक कार्यक्रमों में इनकी प्रभावी भूमिका…

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रमक-झमक के ‘सावा-2017’ फोल्डर का विमोचन, कुरीतियों को कम करने के लिए विवाह वाले घरों मे दिया जाएगा फ़ोल्डर

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वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि पुष्करणा समाज का ‘ओलम्पिक सावा’ पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। यह संस्कृति और परम्पराओं को जीवंत रखने में सहायक है। आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग बीकानेर की इस पुरातन परम्परा को देखने आते हैं। रमक-झमक द्वारा सावे की परम्परा संरक्षण के लिए किया जा रहा कार्य अनुकरणीय है। छंगाणी बुधवार को रमक-झमक संस्था द्वारा बारहगुवाड़ स्थित कार्यालय में रमक-झमक पुष्करणा सावा-2017 के फोल्डर के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देखादेखी की हौड़ में…

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