
पशु पक्षियों की अठखेलियों से पता चल जाता है बारिश कब होगी
सेटेलाइट से हमारे मौसम विभाग द्वारा वर्तमान समय में बारिश पर भविष्यवाणी की जाती है। लेकिन जब आज का आधुनिक सिस्टम नही था विज्ञान नही था तब भी हमारे बुजुर्ग भी अनूठे तरीकों से अनुमान लगा लेते थे और आज भी गांवों में बड़े बुजुर्ग कई तरीकों से बारिश का अनुमान बता देते है। पारंपरिक तरीके से बुजुर्ग कीट, पतंग, पशु व पक्षियों के व्यवहार से ही बरसात का अनुमान लगा लेते थे और आज भी बुजुर्गो से ये तरीके ...
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‘ दाड़ी ऊपर टैक्स ‘
जमानौ बदळग्यौ, रंग-ढंग बदळग्या , भेस बदळग्यौ भासा बदळगी, मन बदळग्या , मानतावां बदळगी, सैंसकार बदळग्या धरम रौ सरूप बदळग्यौ अर बदळग्या मोल तोल करण री निजर रा आधार । पण आ सगळी उथळ-पुथळ घणखरी सैरां मैं ई हुई । गांव इणां सूं घणी बातां मैं अछूता रैयग्या । म्हारां गांवां मैं हाल ई जूनी बातां अर इसा भोळाभाळा मिनख मिळे है जिकां नै बदळियोडै जमानै री हवा ई का छीपी नी। म्हांरौ लक्खू जाट इणी तरै रौ जीव हौ। ...
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कहीं घूमने जा रहे है तो इन चीजों को साथ ले जाना ना भूलें
कहीं घूमने जा रहे है तो इन चीजों को साथ ले जाना ना भूलें गर्मी के दौरान अक्सर सभी ठंडे इलाको, पहाड़ी एरिया और धार्मिक यात्रा के लिए घूमने बाहर जाते है। ये घूमने के लिए सबसे सही समय होता है क्युकी बच्चो के वैकेशन का समय भी चल रहा होता है। तो अगर आप कहीं घूमने जा रहे है तो हम आपके सामान पैकिंग में मदद करने वाले है और ऐसी चीजों को बताने वाले है जो अक्सर हड़बड़ी ...
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एक ऊंठा ऊंठा बी ऊंठा साढ़े सात – मारजाओ के पहाड़े और पढ़ाने के तरीके
एक ऊंठा ऊंठा बी ऊंठा साढ़े सात - मारजाओ के पहाड़े और पढ़ाने के तरीके आज की पीढ़ी को ये समझ ही नहीं आयेगा कि ये ऊंठा - ढूंचा क्या है ये कौनसा पहाड़ा होता है ? लेकिन हमारी पिछली पीढ़ियों ने पढ़ाई ही इन तरीकों से की है गणित के पहाड़ों को याद इसी तरीके से किया है। इसलिए पिताजी दादाजी को हिसाब के लिए कैलकुलेटर की जरूरत ही नहीं पड़ी। कोई भी हिसाब हो पॉइंट्स का हो या ...
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‘घी’ ढुळे तो कोई बात नीं, ‘पानी’ ढुळे तो म्होरो जी बळे”
याद आने लगे बीकानेर के कुएं ! 'घी' ढुळे तो कोई बात नीं,'पानी' ढुळे तो म्होरो जी बळे" बीकानेर शहर में इन्दिरा गांधी नहर (पूर्व में राजस्थान नहर/गंग नहर) से पहले पानी का स्रोत तालाब, कुण्ड, बावड़ी व कुएं ही थे। बीकानेर में लगभग 50 से अधिक कुए थे। कुछ रियासत ने और कुछ धनाढ्य लागों या समूह द्वारा बनाए गए थे। कुछ कुए पूर्ण बन्द हो गए, कुछ अभी भी सम्भवतः चालू है और कुछ को चालू किया जा ...
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