‘कल तक खेली कूदी झगड़ी, इस घर के आंगन में, तेरी किलकारी से आती खुशियां,इस जीवन में’ विदाई गीत की ये पंक्तिया शुक्रवार को रमक झमक संस्थान की ओर से पुष्करणा सावा ऑलम्पिक के उपलक्ष्य में आयोजित ‘सावा काव्य धारा’ कार्यक्रम में कवि संजय आचार्य वरुण ने प्रस्तुत की । कार्यक्रम में कवि कथाकार कमल रंगा नर ‘सावा है भाइपे री,सामूहिकता रौ भाव है’ प्रस्तुत की । हास्य व्यंग्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने सावा धमाल ‘सावो टिपग्यो रे,किण नै ही म्हारे पर दया नीं आई रे’ प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों…
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‘सावा संस्कृति का सम्मान’ कार्यक्रम मे हुआ रोबीलों का सम्मान
‘सावा संस्कृति का सम्मान’ कार्यक्रम मे हुआ रोबीलों का सम्मान बीकानेर, 8 जनवरी। रमक-झमक संस्था द्वारा रविवार को बारहगुवाड़ में ‘सावा संस्कृति का सम्मान’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहर की लोक एवं पुष्करणा सावा संस्कृति को बढ़ावा देने वाले रोबीलों एवं शंखवादक का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बार एसोशिएसन के अध्यक्ष कमल नारायण पुरोहित ने कहा कि रोबीलों ने बीकानेर की संस्कृति को देश और दुनिया में विशिष्ठ पहचान दिलाई है। ऊँट उत्सव के अलावा पुष्करणा समाज की सावा संस्कृति एवं पारम्परिक कार्यक्रमों में इनकी प्रभावी भूमिका…
Read Moreरमक-झमक के ‘सावा-2017’ फोल्डर का विमोचन, कुरीतियों को कम करने के लिए विवाह वाले घरों मे दिया जाएगा फ़ोल्डर
वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि पुष्करणा समाज का ‘ओलम्पिक सावा’ पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। यह संस्कृति और परम्पराओं को जीवंत रखने में सहायक है। आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग बीकानेर की इस पुरातन परम्परा को देखने आते हैं। रमक-झमक द्वारा सावे की परम्परा संरक्षण के लिए किया जा रहा कार्य अनुकरणीय है। छंगाणी बुधवार को रमक-झमक संस्था द्वारा बारहगुवाड़ स्थित कार्यालय में रमक-झमक पुष्करणा सावा-2017 के फोल्डर के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देखादेखी की हौड़ में…
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