फगड़ा घुडळा अनोखा व अनूठा
यहां पुरुष घुमाते है घुडळा
राजस्थान में गणगौर पूजन के दौरान सामान्यतः महिलाए व लड़कियां घुडळा घुमाती हैं और पारंपरिक गीत गाती है ।लेकिन जोधपुर शहर में कुछ अनुठी परम्परा है । महिलाओं के प्रमुख लोकपर्व गणगौर पूजन के दौरान जोधपुर में फगड़ा घुड़ला का अनोखा मेला आयोजित किया जाता है ।इस आयोजन की खास बात ये है कि इसमें घुड़ला लेकर पुरुष निकलते हैं और वो भी महिलाओं का वेष धारण करके । जब पुरुष स्त्री का स्वांग धर सोलह सृंगार कर घुडळा लेकर निकलते है तो माहौल देखते ही बनता है ।चैत्र शुक्ल पक्ष में भोळावणी के साथ जोधपुर में विगत 50 वर्षों से महिलाओं की बजाय पुरुष द्वारा घुडळा घुमाने की परम्परा चली आ रही है जिसे फगड़ा घुडळा मेला कहा जाता है । मेले में धार्मिक, ऐतिहासिक व मनोरंजन से जुड़ी अनेक झांकियां होती है,लोग अलग अलग व रंग बिरंगे आकर्षक वेश पहनते स्वांग धरते है ।शाम से देर रात तक चलने वाले इस मेले को देखने के लिये हजारों की भीड़ पूरे रास्ते दोनो और जमा रहती है अनेक पर्यटक व सैलानी भी देखने पहुचते है । जिस रास्ते से मेले की झांकियां निकलती है उस रास्ते मे जगह जगह स्वागत मनुहार होता रहता है । ‘घुड़लो घूमे फगड़ो घुलड़ो’ गीत सहित मेले में मण्डलियो द्वारा पारम्परिक गीत गाए जाते है ।इस मेले का नज़ारा देखने के लायक़ होता है ।
जोधपुर शहर के भीतरी भाग मे मेले से जड़ी कई संस्थाए है जिनमे खाण्ड़ा फल्सा मेला समिति,कुम्हारिया कुंवा मेला समिति आदी। पिछ्ले काफी सालो से 15-20 युवको की एक संस्था ‘हमारी परम्पराएं’ जिसके अध्यक्ष श्री प्रमोद बिस्सा और संस्था के अन्य सदस्य श्री रवि पुरोहित,दीपक बिस्सा, ब्रजेश पुरोहित, मनीष बिस्सा, चिन्मय जोशी आदि स्वांग रच कर मेले मे झाकी निकालते है। मेले मे ज्यादातर झाकी की रुप सज्जा श्री अज्जू भाई (झांकी सम्राट) व बीकानेर के श्रीबल्लभ पुरोहित आदि द्वारा की जाती है। हमारी परम्परा संस्था की झाकी की विशेषता ये होती है की ये हर बार ऐसी झाकी बनाते है जो अपने आप मे एक अनुठी होती है और समाज को एक संदेश देती है।