अगर नवरात्र में प्रतिदिन पूजा और व्रत करने में असमर्थ हो तो क्या करें

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हमारे धर्म में नवरात्र में पूजा और व्रत को पृथ्वी लोक में जितने भी प्रकार के व्रत एवं दान हैं उससे भी बढ़कर बताया गया है । क्योंकि यह व्रत सदा धन-धान्य प्रदान करने वाला तथा सुख संतान की वृद्धि करने वाला है। देवी भागवत पुराण में नवरात्र के दिनों में देवी पूजन को आयु में वृद्धि तथा आरोग्य प्रदान करने वाला बताया गया है । यही नही बल्कि अगर कोई भक्त देवी की पूजा , व्रत बड़े ही भक्ति भाव से करता है तो उसे हर तरह का सुख और मोक्ष प्राप्त होता है। लेकिन कई बार विशेष परिस्थितियों व जीवन की आपा-धापी में हर दिन पूजन पूजन कर पाना मुश्किल होता है। नवरात्रि में पूरे 9 दिन व्रत करना भी कई बार सम्भव नही हो पाता तो इसके लिए भी देवी पुराण में पूर्ण नवरात्र के फल प्राप्त करने का उपाय बताया गया है।

मन की कामना सुनती है माँ भगवती

विद्या हो, धन हो अथवा पुत्र प्राप्ति की मनोकामना हो तो नवरात्र में देवी माँ का सौभाग्यदायक और कल्याणकारी व्रत का विधि पूर्वक अनुष्ठान करना चाहिए। इस व्रत का अनुष्ठान करने से विद्या चाहने वाला मनुष्य समस्त विद्या प्राप्त कर लेता है और अपने राज्य से वंचित राजा फिर से अपना राज्य प्राप्त कर लेता है । पूर्व जन्म में भी जिन लोगों द्वारा यह उत्तम व्रत नहीं किया गया है वह इस जन्म में रोगग्रस्त, दरिद्र तथा संतान रहित होते हैं।

प्रतिदिन पूजा करने में कोई असमर्थ हो तो क्या करें

यदि कोई व्यक्ति नवरात्र पर्यंत प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ है तो उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजन करना चाहिए प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करने वाले महा भयानक भगवती भद्रकाली करोड़ों योगिनी और सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थी अतः अष्टमी को विशेष विधान से सदा भगवती की पूजा करनी चाहिए उस दिन विविध प्रकार के उपहारों गंध माला चंदन के अनुरूप पायस आदि के हवन ब्राह्मण भोजन तथा फल पुष्प आदि उपहारों से भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।

अगर नवरात्र में उपवास करने में असमर्थ हो तो क्या करें

अगर पूरे नवरात्र में कोई उपवास करने में असमर्थ हो तो उन लोगों के लिए 3 दिन का उपवास भी फल प्रदान करने वाला बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि यदि भक्त भक्ति भाव से केवल सप्तमी, अष्टमी और नवमी इन 3 रात्रियों में देवी की पूजा करता है तो उसे सभी फल सुलभ हो जाते हैं। भक्त द्वारा देवी के पूजन, हवन, कुमारी-पूजन तथा ब्राह्मण भोजन इनको संपन्न करने से वह नवरात्र व्रत पूरा हो जाता है ।

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