‘ दाड़ी ऊपर टैक्स ‘

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जमानौ बदळग्यौ, रंग-ढंग बदळग्या , भेस बदळग्यौ भासा बदळगी, मन बदळग्या , मानतावां बदळगी, सैंसकार बदळग्या धरम रौ सरूप बदळग्यौ अर बदळग्या मोल तोल करण री निजर रा आधार । पण आ सगळी उथळ-पुथळ घणखरी सैरां मैं ई हुई । गांव इणां सूं घणी बातां मैं अछूता रैयग्या । म्हारां गांवां मैं हाल ई जूनी बातां अर इसा भोळाभाळा मिनख मिळे है जिकां नै बदळियोडै जमानै री हवा ई का छीपी नी। म्हांरौ लक्खू जाट इणी तरै रौ जीव हौ। किणी काम सूं माड़ाणी सैर रौ मूंडौ देखणौ पड़ियौ ।…

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सखी सखी में सूरज दिख्यो ? ज्योहीं टुठ्यो, सूरज रोटा कथा व्रत विधि

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होली दहन के बाद प्रथम रविवार को सूरज रोटे का व्रत होता है। भगवान सूर्य के लिये गेहूं के आटा से करीब 1 इंच मोटाई की रोटी हाथ से थप थपा कर बनाई जाती है जिसके सेंटर में एक छेद रख दिया जाकर पकाई/सेकी जाती है। महिलाएं ये रोटा लेकर घर की छत या आंगन में जहां सूर्य अच्छे से दिखाई पड़ता है वहाँ से समूह के रूप में एकत्रित होकर अपना अपना रोटा लेकर उसमें से भगवान सूर्य के दर्शन करती है और अर्घ्य देती है। जब रोटे के…

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