घुडळा गीत: (प्राचीन परम्परागत गीत:रमक झमक) म्हारों तैल बले घी घाल, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । घुड़ले रे बाँध्यो सूत, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । (रमक झमक) सुहागण बाहर आय, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । इशरदसजी रै जायो पूत, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । म्हारों तैल बले घी घाल, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । सोने रो थाळ बजाय, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । मोत्यों रा आखा घाल, घुड़लो घूमे ला जी घूमें ला । सोने रो ट्कको घाल,…
Read MoreTag: ghudla geet
म्हारौ तेल बलै घी घाल, घुडलो घुमे छै जी घुमै छै
गणगौर के दिनों में शीतला अष्टमी से शुरू होकर तीज तक गली गुवाड़ मे अविवाहित कन्याओं को घुड़ला लेकर घुमते हुए देखा जा सकता हैं । घुड़ला एक मिट्टी से बना बर्तन एक गले की तरह होता हैं जिसके अंदर मिट्टी बिछाई हुई रहती है और घी या तेल का दिपक जलाया जाता है । गणगौर के 7 दिन बाद से ही ऐसा नजारा देखा जा सकता हैं कि गवर पूजने वाली कन्याऐं शाम के वक्त घुड़ला लेकर निकलती हैं और आस-पास पड़ोस के घरों के आगे जाकर यह गीत…
Read More