म्हारौ तेल बलै घी घाल, घुडलो घुमे छै जी घुमै छै

शेयर करे

गणगौर के दिनों में शीतला अष्टमी से शुरू होकर तीज तक गली गुवाड़ मे अविवाहित कन्याओं को घुड़ला लेकर घुमते हुए देखा जा सकता हैं । घुड़ला एक मिट्टी से बना बर्तन एक गले की तरह होता हैं जिसके अंदर मिट्टी बिछाई हुई रहती है और घी या तेल का दिपक जलाया जाता है । गणगौर के 7 दिन बाद से ही ऐसा नजारा देखा जा सकता हैं कि गवर पूजने वाली कन्याऐं शाम के वक्त घुड़ला लेकर निकलती हैं और आस-पास पड़ोस के घरों के आगे जाकर यह गीत…

शेयर करे
Read More