गणगौर सुबह के गीत – उठी – उठी- उठी – उठी गवर निन्दाड़ो खोल निन्दाड़ो खोल , सूरज तपे रे लिलाड़ एक पुजारी ऐ बाई म्हारी गवरजा , गवरजा , ज्यों रे घर रे टूठे म्होरी माय अन्न दे तो धन दे , बाई थरि सासरिये , पीवरिये , अन्न धन भया रे भण्डार ! डब्बा तो भरिया ए बाई थारे गैनों सु गोंठो सु, माणक मोती तपे रे लिलाड़, उठी – उठी गवर निन्दाड़ो खोल निन्दाड़ो खोल.. खोल कीवाडी- गवर गवरादे माता खोल किवाड़ी , ऐ बाहर उभी थोने…
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कोलकाता में मारवाड़ी समाज की भव्य गणगौर
कोलकत्ता में लोक सस्कृति का भव्य आयोजन ‘गणगौर महोत्सव’ महोत्सव में नजर आता है रंगीलो राजस्थान की झलक लोक उत्सव,लोक परम्परा और लोक सस्कृति का जीवंत दृश्य कोलकता के बड़ा बाजार में राजस्थानी गणगौर उत्सव की झलकियां देख कर हर किसी को लगता है कि वो अपने मूल शहर /राजस्थान में आ गया है । राजस्थान में जहाँ बालाएं / महिलाएं गवरजा पूजा करती है दातनीयां देती है,बासा देती हुई गीत गाती है ,तीज -चौथ को गवरे घुमाती हैं , घुलड़े का गीत गाती है,कुए का पानी पीलाती है और…
Read Moreगणगौर की शाही सवारी और दौड़ को देखने उमड़े लोग, देखे झलकियाँ
देखिये जूनागढ़ के आगे से निकलती गणगौर की शाही यात्रा और विभिन्न जगहों से प्राप्त हुए गवर के फोटो बीकानेर के जूनागढ़ से परम्परागत तरीके से गणगौर की शाही सवारी निकली । शाही गणगौर के आगे राजपरिवार के बेंड की स्वर लहरिया वातावरण को गणगौर मय बना रहा था । शाही अंदाज में शाही बैंड और उसमे राजपरिवार के लोग भी सामिल हुवे ये शाही सवारी चौतीना कुआ तक पहुची और चौतीना कुआ पर शहर के विभिन्न इलाको से भी लोग अपनी अपनी गणगौर की मूर्तियाँ लेकर पहुचे । जहा…
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