शीतलाष्टमी का त्योहार होली के बाद मनाया जाता है। कई जगह इसे बासौड़ा भी कहते हैं। ये हमें ऋतु परिवर्तन का संकेत भी देते है। इस त्योहार में शीतला माता की पूजा की जाती है और माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। इसके लिए एक दिन पहले है घरों में भोजन बना लिया जाता है और अष्टमी के दिन माता के भोग लगाया जाता है। शीतला माता वाले दिन गर्म खाना पीना निषेध है। इस दिन माता के मटके में पानी भरा ठंडा जल चढ़ाने व ठंडा…
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शीतलाष्टमी को ठंडा भोजन करने से नहीं होते रोग, गधों की भी होती है पूजा
शीतलाष्टमी को ठंडा भोजन खाने से होती है कृपा,नहीं होता चेचक,माता व खसरा चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतलाष्टमी पर्व इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है और बासी यानी ठंडा भोजन पकवान उनको चढ़ाया जाता है। राजस्थान में यह अष्टमी बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। अष्टमी के दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता, घरों की औरतें सप्तमी को पूरे परिवार व आने वाले मेहमान का अंदाज लगाकर व्यंजन तैयार करती है। गुड़ राब,खट्टी राबड़ी, बाजरा रोटी, मस्सी रोटी, गेंहू रोटी, हलवा, मोगर पूड़ी,बेसन की मसालेदार…
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