सुखी जीवन हेतु महत्वपूर्ण बातें, जाने आस्था के पीछे का वैज्ञानिक सम्बन्ध (1)

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प्रहलाद ओझा ‘भैंरू‘   1.    ग्रहण, दीपावली, होली, नवरात्रा, श्राद्ध, संक्रांति, पूर्णिमा, व्रत व अमावस्या को संभोग करने से घर में क्लेष, स्वास्थ्य संबंध परेषानी व आयु का क्षय होता है । 2.    फैषन के चलते आजकल लोग नाखुन बढ़ाते है, इससे आसुरी प्रवृति पैदा होती है उनमें दया का भाव कम देखा गया है ।  नाखुन में गंदगी जमा होने से वह गंदगी भोजन के साथ पेट में चली जाती है अतः       नाखुन न बढाये । 3.    औरत के मासिक चक्र के दौरान संभोग करने से, उसके हाथ का…

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रिश्तेदारों की सेवा से भी ग्रह शान्ति

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अगर आपकी कुंडली किसी भी ग्रह से पीड़ित है या ग्रह सम्बन्धी समस्या से आप ग्रसित है तो ना केवल उसका दान-जाप बल्कि रिश्तेदारों की सेवा उन्हें प्रसन्न रखने से भी ग्रह की समस्या दूर होती है और प्रसन्न होकर शुभ फल देते है । सूर्य- सूर्य पिता एवम पितृ पक्ष यानी दादा-दादी और दशम भाव का कारक है । सूर्य सम्बन्धी पीड़ा को शांत करने के लिए पिता की सेवा करे । चंद्रमा- चंद्रमा माता एवम उनसे सम्बंधित रिश्तेदार जैसे मौसी, मामी, मामा एवम चतुर्थ भाव का कारक है…

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