सावे में शादी कर पूर्ण किये 50 वर्ष से लोगों को मिलेगी प्रेरणा

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बीकानेर । हिंदू धर्म में पत्नी भोग की विषय वस्तु नहीं बल्कि गृहस्थ सुख के साथ संसार से तारणे वाली संगिनी है,दुर्गा शप्तशती में ‘पत्नी मनोरमाम देहि,मनोवृतानुसारिणीम, तरिणीम दुर्ग संसार सागरस्य कुलोदभवाम’ श्लोक इस बात को प्रमाणित करता है । ये उद्गार आज नथूसर गेट स्थित जोशियों की बगीची में मखन जोशी वेलफेयर सोसायटी व रमक झमक संस्था के ‘प्रेरणा सम्मान’ कार्यक्रम में शिवबाड़ी लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता संवित सोमगिरीजी ने व्यक्त किया । सोमगिरीजी ने कहा कि विदेशों में 60 वर्ष की उम्र के बाद भी लोग भोगी…

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