गाय के गोबर रेडिएशन दुष्प्रभाव को कम होना है विज्ञान प्रमाणित-
गाय का गोबर रेडिएशन दुष्प्रभाव को करता है। रेडिएशन दुष्प्रभाव को कम करना है तो देशी गाय के गोबर से घर व कार्यालय लीपना चाहिए क्योंकि हर घर और कार्यालय में मोबाइल, लैपटॉप व अनेक बिजली उपकरण उपयोग होने लगे है और उनसे निकलने वाला रेडिएशन का दुस्सप्रभाव कम करना है तो घर और कार्यालय को गाय के गोबर व मिट्टी से लीपना चाहिये। ये उद्गार हरियाणा के वैज्ञानिक डॉ शिव दर्शन ने कानासर फाटा स्थित संत भावनाथ आश्रम में गोपाष्टमी के अवसर पर आयोजित गो महोत्सव के प्रथम दिन ‘गाय जीवन का आधार’ विषय पर सेमिनार (परिचर्चा) में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने कहा गोबर के मकान की तकनीक अपनाई जानी चाहिये जो गर्मी में ठंडा व सर्दी में गर्म रहता है। इन दोनों समस्या का हल देशी गो वंश के गोबर में है।
उद्योगपतियों ने भी जाना गाय का महत्व –
उद्योगपति राजेश चुरा ने कहा कि देशी गाय का धार्मिक महत्व के साथ साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्व है। उद्योगपति मोटूलाल हर्ष ने कहा कि गाय के बिना सनातनी के समृद्ध जीवन की कल्पना सम्भव नहीं हो सकेगी। सेमिनार का विषय प्रवर्तन संस्कृतिविद रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुँ’ ने कहा कि हमारे समस्त संस्कार बिना गाय के सम्भव नहीं। जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कार में पञ्चगव्य गोबर लेपन और हवन होता है वो बिना गाय के सम्भव नही इसलिये गाय संस्कार का आधार है। सेमिनार की अध्यक्षता संत भावनाथ महाराज ने की। अध्यक्षीय उद्धबोधन में महाराज ने कहा कि हर परिवार गाय की सुरक्षा का संकल्प ले।
गौ सेवा करने वाले सेवादारों का सम्मान –
गोपाष्टमी पर आयोजित ‘गो महोत्सव’ के प्रथम दिन के दूसरे सत्र में गो शाला में सेवा में सेवा देने वाले पृथ्वीसिह राजपुरोहित, पूर्ण सिंह, विष्णु सारस्वत, राजू उदासर, रघुनाथ शेखावत, राजेश सारस्वत, नीरज भाटी, हनुमान सिंह, जगदीश राजपुरोहित, केशरी सिह राजावत, ओम प्रकाश, हनुमान सिंह, भरत सिंह, विजय बोथरा, रोहित बोथरा, कमल माली, बाबूलाल भाटी, पुखराज मंगलावत व छगन कुम्भार को शाल, श्रीफल देकर व माला पहनाकर स्वागत किया गया।