पुष्करणा शादी ओलम्पिक स्थगन का स्वागत
बीकानेर में इस बार विश्व प्रसिद्ध शादी ओलंपिक नहीं होगा। कोरोना के विकराल रूप का असर हर कहीं देखा जा सकता है। पुष्करणा सामूहिक शादियों में सेवा व सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाली अग्रणीय संस्था रमक झमक संस्थान के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने बताया कि विश्व भर के पुष्करणा ब्राह्मणों का सामूहिक शादियों का आयोजन जिसे वेडिंग ओलंपिक के नाम से जाना जाता है, वो इस बार 2021 में होना था । सावा शोधन व तय करने वाले लालानी कीकाणी व्यास परिवार ने कोरोना को देखते हुवे एक साल के लिये स्थगित कर दिया जो स्वागत योग्य है। रमक झमक संस्थान के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने कहा कि कोविड 19 विश्वव्यापी समस्या है, इस समय हर समाज को भीड़ व समूह वाले आयोजनों से बचना चाहिये । ओझा ने कहा कि निर्धारित सावा वर्ष को स्थगित करना पूरे समाज के लिये बड़ी बात है लेकिन स्वस्थ्य से बढ़कर कोई आयोजन नहीं हो सकता । अतः रमक झमक संस्थान इस स्थगन का स्वागत करता है।
क्या है शादी ओलंपिक
अन्य शादियों से कैसे अलग है ये सावा
पूरे विश्व के समस्त पुष्करणा ब्राह्मण एक ही दिन एक ही समय गोधूलि मुहूर्त में और बिना बेंड बाजे बिना शूट बूट के शादी करते है, दूल्हा केशरिया पीताम्बर, पीली बनियान, खिड़कियां पाग पहनकर, लौंकार की छांव में नंगे पांव शादी करने जाता है, बेंड के स्थान पर शंख नाद की पूं पुं, चेहरे पर खुशी का कुंम कुंम और सवा रुपये की मिलनी और 10 से 20 लोगों की उपस्थिति में शादी सम्पन्न हो जाती है। उस दिन हर दूल्हा विष्णु स्वरूप व हर दुल्हन लक्ष्मी स्वरूपा मानकर शादी होती है। यह अन्य सामूहिक शादियों से बिल्कुल भिन्न है। रमक झमक के द्वारा बारह गुवाड़ चौक में पौराणिक दूल्हों का स्वागत देखने के लिये पूरा वर्ल्ड मीडिया व दूर दराज से पर्यटक आते है। पाश्चात्य प्रभाव से दूर परम्परा व संस्कार को कायम रखने वालों बींद बीनणी और यहाँ तक बारातियों का भी रमक झमक अनूठे ढंग से स्वागत अभिनन्दन करता है जिससे लोग पाश्चत्य से हटकर अपनी मूल परम्परा को जीवंत रख सके। जो परम्परागत चीजे बाज़ार में उपलब्ध नही होतो वो भी रमक झमक निः शुल्क उपलब्ध करवाता है।
कैसे किया जाता है पुष्करणा साव तिथि का निर्धारण
सावा तिथि तय करने का भी अनूठा तरीका है। व्यासों व झूठा पौता की ट्रस्ट द्वारा पंडितों आमंत्रण देकर शास्त्रार्थ करवाया जाता है शुभ मुहूर्त शोधन किया जाता है,अगर मुहूर्त में हल्का भी दोष हो तो पण्डितजनो से उसके निवारण हेतु सामूहिक अनुष्ठान कर दोष निवारण करवाया जाता है।
पुष्करणा समाज की सैकड़ो वर्षों पुरानी परंपरा
ये सावा 350 वर्ष से भी पुरानी परंपरा है । 4 सालों के अंतराल से वर्षों तक होता रहा है इसलिये लोगों द्वारा इसे शादी ओलम्पिक के नाम से जानने लगे। वर्तमान में यह 2 साल से होता है । पिछला सावा का आयोजन 2019 फरवरी में हुआ था जो अब 2021 फरवरी मई के आस पास हो सकता था । इसके लिये दशहरा को मुहूर्त मंथन की शुरुवात होनी थी लेकिन कोराना परिस्थिति को देखते हुए पहली बार समाज के लोगों व मुहूर्त तय करवाने वाले लालाणी व्यासों ने इसे विधिवत बैठक कर स्थगित करने का निर्णय लिया। अब 2021 में विजय दशमी के दिन अगली पुष्करणा सावा तिथि पर निर्णय लिया जाएगा।