सावा पर पूरी दुनियां की नजर:-
बीकानेर। पुष्करणा सावा सस्कृति को बचाएं रखना और इसको बढ़ाना ये महिलाओं की जिम्मेदारी ज्यादा है, ये उद्गार हाल ही में आर जे एस (मजिस्ट्रेट) बनी प्रीति व्यास ने रमक झमक संस्थान के महिला सम्मेलन में अतिथि के रूप में कही । उन्होंने कहा कि घर परिवार की रीत रिवाज ज्यादा महिलाओं को पता है और वो ही आगे बढ़कर मूल परम्परा को बचा कर सस्कृति को बचा सकती है । प्रीति व्यास ने इस बात पर जोर दिया बहु बेटी को अधिक से अधिक पढ़ाए क्योंकि एक बेटी या एक बहु से चार परिवार बनते है ऐसे में पूरा समाज शिक्षित करना है तो बेटी बहु की पढ़ाने पर ज्यादा जोर दिया जाना चाहिये । साहित्यकार डॉ कृष्णा आचार्य ने कहा कि पूरी दुनियां की नजर पुष्करणा समाज के इस सावा ऑलम्पिक पर है, ब्राह्मणों से दुनियां सीख लेती है, इसलिये हमारा दायित्व और अधिक बढ़ जाता है कि हम सावा में हर वो काम करें जिससे दुनियां सावा से सीख ले । शिक्षिका इंद्रा व्यास ने कहा कि सावा में विवाह करने के लिये मन्दिर, बगीचियों और कोटड़िया ही काफी है, कुछ लोग अपनी अहमियत या पूंजी दिखावे के लिये भवनों पर लाखों रुपये खर्च करते है पुराने लोग धन यानि लक्ष्मी को छिपाकर रखने के पीछे सोच ये थी कि दिखावा न करें । अध्यापिका कुसुम लत्ता जोशी ने कहा कि अच्छे संस्कार व अच्छी परम्पराएँ स्कूल समय से ही सिखाई जावे । गायिका नीलिमा बिस्सा ने कहा कि परम्परा व रीत रिवाज का पालन अच्छे से हो इसलिये घर के आदमी भी उनका साथ दे ये भी जरूरी है । कवयित्री सुमन ओझा ने कहा कि पंरपरा को बचेगी तो सस्कृति बचेगी ।गृहणी रिंकू ओझा ने कहा कि सावा इस शहर व समाज की शान है इसलिये आने वाले प्रवासियों व पर्यटकों के साथ हमें अपने अच्छे व्यवहार से भी उनको प्रभावित करना है ,और स्वछता का भी ध्यान रखना है । कोलकत्ता की राजस्थानी गीत गायिका शोभा देराश्री ने कहा कि गीतों को बचाए पारम्परिक गीतों को गाए व सुने ,इन गीतों में जीवन का सार है और विवाह पर गाये जाने वाले गीत ही सावा का वातावरण बनाए रख सकते है ।
कार्यक्रम में नीलम पुरोहित, शिकुमारी पुरोहित, शिव प्यारी किराडू, विजय लक्ष्मी पुरोहित, लक्ष्मी ओझा व प्रियंका पुरोहित सहित अनेक महिलाओं ने कम खर्च में और कुरीतियों को मिटाने में महिलायें सहयोग करेगी व सावा को और अधिक सुंदर बनाने का प्रयास करेगी के लिये आश्वश्त किया।समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ गृहणी श्रीमती रामकवरी ओझा ने की । पूर्व में श्रीमती प्रीति ओझा ने विषय प्रवर्त्तन किया व आगन्तुक महिलाओ का रमक झमक की ओर से स्वागत किया । रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने बताया कि सभी महिलाओं ने रमक झमक को आश्वश्त भी किया किया कि वे सावा को सुंदर बनाने में अपना योगदान देगी ।