पिछली 5 सदियों से भी अधिक समय से अपनी संस्कृति की जड़ों से जुड़ा बीकानेर शहर हर वर्ष आखाबीज के दिन अपने जन्मदिन यानी स्थापना दिवस को मनाता है। इस शहर की स्थापना राव बीकाजी ने अक्षय तृतिया से एक दिन पहले करणी माता के आशीर्वाद से की थी। राव बीकाजी जोधपुर के राजा राव जोधा के सबसे बड़े पुत्र थे और राजवंश की परंपरा के तौर पर वे अगले जोधपुर के राजा होते लेकिन ऐसा न होकर उन्होंने नया शहर बसाने का निर्णय क्यों लिया आइए जानते है।
पिता राव जोधा ने किया व्यंग
बीकानेर शहर को बसाने वाले राव बीका जी एक दिन जब जोधपुर नरेश राव जोधा के दरबार में बैठे थे तब के राजकुमार बीकाजी.. दरबार में देर से आए.. और अपने पिता जी राव जोधा को प्रणाम कर अपने स्थान पर बैठ गए। राव बीकाजी की अपने चाचा कांधल (राव जोधा के छोटे भाई) से खूब पटती थी तो वे दरबार में बैठे कान में कान्हाफुसी कर बात करने लगे। यह देखकर राव जोधा ने व्यंग में कहा कि लगता है चाचा भतीजा नया राज्य बसाने जा रहे हैं। इस पर बीकाजी और चाचा कांधल ने कहा यदि आप का आशीर्वाद रहा तो यह जरूर होगा क्यू नहीं! अपने पिता से ये ताना सुनकर चाचा और भतीजा दोनों दरबार से उठ कर चले गए और इस ताने का असर इतना था कि बीकाजी बीकानेर राज्य की स्थापना करके ही माने। जिसके बारे में एक दोहा भी प्रचलित हैं –
बीकानेर स्थापना दिवस से जुड़ा दोहा –
पंद्रह सौ पैतालवे सुद वैशाख सुमेर,
थावर बीज थरपियो बीका बीकानेर।
इसका अर्थ है की संवत् 1545 ई में वैशाख सुदी दूज (अखाबीज) शनिवार के दिन राव बीकाजी ने बीकानेर नगर की स्थापना की।
इस दौरान जोधपुर और बीकानेर के बीच युद्ध क्यों हुआ इसका परिणाम क्या निकला ? लेकिन क्या आप जानते है कि राव बीकाजी जोधपुर से 16 तरह के पदचिन्ह व कौनसी प्रतिमाएं लेकर साथ आए थे ? उन्होंने बीकानेर नगर बसाने के लिए इसी स्थान को क्यों चुना? करणी माता ने बीकाजी और बीकानेर शहर को क्या आशीर्वाद दिया ? चंदा क्यों उड़ाया जाता है ? ये शहर एकता और समानता का उदाहरण कैसे देता है आप इसकी विस्तृत जानकारी नीचे दिए गए वीडियो के माध्यम से बीकानेर स्थापना से की अद्भुत जानकारी बताई गई है .