बहन द्वारा भाई को तिलक कैसे करना चाहिए, जानिए भाई दूज की कथा व शुभ मुहूर्त

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आमतौर पर भारतीय परंपरा मे बहन बेटियों के घर नहीं जाया जाता है। घर की बेटियों के बहनों के यहां भोजन नही किया जाता है बल्कि सुहासिनी को हमेशा कुछ दिया ही जाता है लिया नही जाता। हालांकि आधुनिक दौर में समय और परिस्थितियों को देखते हुए कई बार दूरी अधिक होने पर ऐसा करने में अनुचित नही समझा जाता ऐसी परिस्थितियां होने पर भी भेंट स्वरूप सुहासिनी के घर दिया ही जाता है। लेकिन क्या आप जानते है साल में भाई दूज का एक ऐसा भी दिन है जिस दिन भाई बहन के घर जाता है और वहाँ भोजन करता है तो उसे अनुचित नही समझा जाता। बल्कि इस दिन अगर भाई अपने बहन के यहां जाता है तो उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नही रहता। ऐसा हमे भाई दूज की कथा में देखने को मिलता है। आइए जानते है कि भाई दूज की पौराणिक कथा क्या है इसका महत्व क्या है।

भाई दूज की पौराणिक कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था | उसकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था | यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी | वह उनसें बडा निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करे | अपने कार्य में यमराज बात को टालते रहे | कार्तिक शुक्ला दिवतिया का दिन आया | यमुना ने इस दिन फिरभाई यमराज को भोजन के लिए निमन्त्रण देकर उसे अपने घर आने के लिये वचनबद्ध कर लिया |

यमराज ने सोचा ”’ मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ | मुझे कोई भी अपने घर बुलाना नही चाहता | बहिन जिस सदभावना व स्नेह से मुझे बुला रही हैं उसका पालन करना मेरा भी धर्म हैं | ” बहिन के घर आते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया |

यमराज को अपने घर आया देख यमुना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | उसने पूजन कर अनेक व्यंजन परोस कर भोजन कराया | यमुना के द्वारा किये गये आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वर माँगने को कहा – “ भैया ! आप प्रति वर्ष इस दिन मेरे घर आकर भोजन करें | मेरी तरह इस दिन जों बहन अपने भाई को सादर सत्कार करेंके टिका लगाकर नारियल दे उसे कभी तुम्हारा भय न रहें | “ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य उपहार देकर यमलोककी राह ली |

ऐसी मान्यता हैं की इस दिन जों भाई बहन के घर आता हैं उसे धन धान्य , आयुष्य व अपरिमित सुख़ की प्राप्ति होती हैं उसको जीवन में कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं होता हैं |

कैसे करें तिलक:-

भाई के तिलक करते समय खाश बात ये ध्यान रखे कि तिलक जब शुरू करें तो तिलक को नीचे से ऊपर की ओर खिंचे,अगर वापस गहरा करना हो तो वापस नीचे ही पुनः शुरू करे और उपर तक ले जाए इससे भाई आयु व कीर्ति बढ़ती है। उपर से नीचे नहीं करना चाहिये। बहन कच्चे कलर के कपड़े पहन कर तिलक करें व भाई का सिर ढका हो या मौली रखी हो,इनके अभाव में राइट हेंड को सिर पर रख तिलक करवाना चाहिये ।आम लोगों को इन दोनों बातों का पता नहीं होता।

मुहूर्त:-

इस बार शुभ तिलक 12:56 से 3:06 के बीच करें तो अधिक उत्तम है।

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