दण्डवत प्रणाम कौन करे कौन नही 

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दण्डवत प्रणाम कौन करे कौन नही

कईं माताओं बहनों को मंदिर में भगवान के सामने दंडवत/ साष्टांग प्रणाम करते देखा है। साष्टांग प्रणाम करने के स्वास्थ्य लाभ भी बहुत ज्यादा हैं। ऐसा करने से आपकी मांसपेशियां पूरी तरह खुल जाती हैं और उन्हें मजबूती भी मिलती है। लेकिन स्त्रियों को साष्टांग प्रणाम करने की मनाही है इसके पीछे धार्मिक व वैज्ञानिक कारण निहित है।

शास्त्रों में कहा गया है कि –
ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्राम च पुस्तकं।
वसुंधरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं।

ब्राह्मण का गुदा, शंख, शालिग्राम भगवान, पुस्तक और स्त्री की छाती जमीन पर लगने से दोष होता है व धरती पर भार पड़ता है।

ब्राह्मण बिना आसन के (जिनमें ब्राह्मणत्व हो), स्त्रियों के छाती ,शंख ,अनामिका में पहनी हुई पवित्री, और जप की हुई रुद्राक्ष की माला यह पांच चीजों का भार पृथ्वी वहन नहीं कर सकती इसलिए उसका स्पर्श जमीन से नहीं होना चाहिए। अतः स्त्रीयों को साष्टांग नमस्कार (दंडवत) निषिद्ध है।

इसके पीछे वैज्ञानिक रहस्य भी है। स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह आसन स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।

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