ये है वास्तविक ‘डोलची’
-यह चमड़े की बनी होती है।
-डोलची ऊंट की खाल से बनी होती है।
-इसके पीछे लकड़ी का हत्था इसे पकड़ने के लिये होता है।
-इसमें करीब 800 से 900 ml पानी भरा जाता है।
-इसका आगे का मुंह तिकोना टाइप होता है।
-यह दो प्रकार की होती है,लेफ्ट हेंडर के लिये अलग व राइट हेंडर के लिये अलग।
-इसकी लम्बाई 9 इंच होती है।
-इसका मुच् करीब साढ़े तीन से चार इंच तक बनावट के अनुरूप होता है।
-इसमें पानी भर कर एक दूसरे की पीठ पर पानी का वार किया जाता है।
-पानी का वार जितना ज्यादा होगा जबरदस्त होगा तो पानी बहुत तेज सटाक सटाक की आवाज करता है।
-यह डोलची पानी मार होली खेल मुख्य रूप से हर्ष व्यास जाती में होता है इसके अलावा ओझा छंगाणी के बीच भी कई वर्षों से हो रहा है,सिंगियो में भी होने लगा है।
-आज कल ये डोलची गिने चुने लोगों के पास ही है,अब लोहे की बनाई जा रही है लेकिन चमड़े की डोलची का मुकाबला नहीं ।
खेलने वाले सगे सम्बन्धी होते है।
यह पीठ पर भर कर मारी जाती है ।
-एक अच्छी डोलची की वॉर कोई सामान्य आदमी के पड़ जाए तो महीनों कमर दर्द रह सकता है।
-यह खेल पुरानी किसी रंजिश को प्रतीक बनाकर इसे प्रेम सौहार्द से खेलते है।
-बीकानेर की होली के -विभिन्न रंग है और अनूठी परम्पराए है जिसमें एक उदाहरण मात्र है,यहाँ ऐसी रस्मे बहुत है जो बीकानेरी होली को खाश बनाती है।
रमक झमक के लिये प्रहलाद ओझा ‘भैरु’