होली खेलने के बाद राम राम वाले दिन या उसके अगले दिन द्वितीया को जिसे जाम बीज या जमला बीज भी कहते है, इस दिन बहन भुआ या स्वास्नी अपने भाई भतीजे आदि को उनके ऊपर से एक उतारा करने की परम्परा है। पानी का लौटा, तला पापड़, कैर, काचरी व फली तली हुई लेकर उपर से उवारती है यानी क्लॉक वाइज घुमाती हैं फिर घर से बाहर जाकर पापड़ आदि सामग्री सड़क पर रख उसके चारों ओर एक वृत्ताकार घेरा यानि चक्रिया बनाती है । सामग्री को सड़क पर ही छोड़ दी जाती है जिसे परिवार या पड़ोसी उठा लेते है और खाते है ।
आमतौर से उतारा उवारां या किसी के सिर के ऊपर से घुमाई चीज कोई नहीं खाता जानवर खाते है, लेकिन यहाँ सिर्फ इस दिन ऐसा नहीं होता, माना जाता कि किसी दूसरे का उवारां खाने से ‘बाला’ नहीं बहता इसका सामान्य अर्थ है उसे एक विशेष प्रकार का रोग नहीं होता। एक मान्यता है कि उवारने से नजर उतर जाती है और जो खाता है उसकी भी !! लेकिन खुद का नहीं खा सकते।
बुजुर्ग कहते है होली खेलने के बाद इसे करना बहुत जरूरी है, ये उवारां पापड़ घर परिवार सबको खाना चाहिये ।
(रमक झमक- बीकानेर)