पुष्करणा सावे की रौनक परवान पर चढ़ चुकी है जनेऊ, छींकि, मायरा और दिवाली धोकणा हर गली बटुक व बनडे नज़र आ रहे है.व महिलायें गीत गाती नज़र आ रही है. देखिये वीडियो
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रमक झमक मंच पर बैंक देगा नई गड्डियां, गैस टंकी की सुविधा भी होगी उपलब्ध
पुष्करणा सावा रमक झमक मंच पर बैंक देगा नई गड्डियां व गैस टंकी की सुविधा भी होगी उपलब्ध :- पुष्करणा सावा में शादी करने वाले परिवार को रमक झमक संस्था के मंच पर नये नोटों की गड्डियां उपलब्ध कराई जाएगी । रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने बताया जिनके परिवार में 21 फरवरी की शादी है या सावा के निर्धारित कार्यक्रम में यज्ञोपवीत मायरा है उनको नए नोट की गड्डियां उपलब्ध कराई जाएगी ओझा ने बताया कि विवाह,मायरा ,खोला व नेग आदि की परम्परा में 10- 20 के…
Read Moreसंस्कृति को बचाएं रखना और कुरीतियों को दूर करने में महिलाओं की अहम् भूमिका – महिला सम्मलेन
सावा पर पूरी दुनियां की नजर:- बीकानेर। पुष्करणा सावा सस्कृति को बचाएं रखना और इसको बढ़ाना ये महिलाओं की जिम्मेदारी ज्यादा है, ये उद्गार हाल ही में आर जे एस (मजिस्ट्रेट) बनी प्रीति व्यास ने रमक झमक संस्थान के महिला सम्मेलन में अतिथि के रूप में कही । उन्होंने कहा कि घर परिवार की रीत रिवाज ज्यादा महिलाओं को पता है और वो ही आगे बढ़कर मूल परम्परा को बचा कर सस्कृति को बचा सकती है । प्रीति व्यास ने इस बात पर जोर दिया बहु बेटी को अधिक से…
Read More‘सावो टिपग्यो रे, किण नै ही म्हारे पर दया नीं आई रे’ पुष्करणा सावे के अवसर पर हुआ कवि सम्मलेन देखे वीडियो
‘कल तक खेली कूदी झगड़ी, इस घर के आंगन में, तेरी किलकारी से आती खुशियां,इस जीवन में’ विदाई गीत की ये पंक्तिया शुक्रवार को रमक झमक संस्थान की ओर से पुष्करणा सावा ऑलम्पिक के उपलक्ष्य में आयोजित ‘सावा काव्य धारा’ कार्यक्रम में कवि संजय आचार्य वरुण ने प्रस्तुत की । कार्यक्रम में कवि कथाकार कमल रंगा नर ‘सावा है भाइपे री,सामूहिकता रौ भाव है’ प्रस्तुत की । हास्य व्यंग्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने सावा धमाल ‘सावो टिपग्यो रे,किण नै ही म्हारे पर दया नीं आई रे’ प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों…
Read Moreपुष्करणा सावा पौराणिक संस्कृति अक्षुण रखती है रमक झमक संस्था -मंत्री बी डी कल्ला
बीकानेर। उर्जा व जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ.बुलाकी दास कल्ला ने कहा है कि पुष्करणा समाज का 21 फरवरी 2019 को होने वाला सामूहिक सावा संस्कृतिक धरोहर व परम्परा का प्रतीक है।रमक झमक जैसी संस्था पौराणिक संस्कृति को अक्षुण रखने के लिये कार्य कर रही है जिसकी सराहना की जानी चाहिये,उन्होंने आवाह्न किया कि युवक-युवतियों का विवाह सावे में अधिकाधिक संख्या में करें, जिससे हमारी वर्षों पुरानी यह परम्परा भी जीवित रहेगी । डाॅ.कल्ला मंगलवार को बारह गुवाड़ चौक में पुष्करणा समाज के सामूहिक सावे पर सेवा व सुविधा देने…
Read Moreरमक झमक की ओर से पुष्करणा सावे से संबंधित वीडियो और आॅडियो गीत लांच
रमक-झमक की ओर से पुष्करणा सावे से संबंधित वीडियो और आॅडियो गीत गुरुवार को लांच हुआ। बारहगुवाड़ स्थित संस्था कार्यालय में पंडित जुगल किशोर ओझा ‘पुजारी बाबा’, वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा, समाजसेवी पंडित सूरजकरण जोशी, सूर्य प्रकाशन मंदिर के डाॅ. प्रशांत बिस्सा, शेर महाराज, ईश्वर महाराज, पूर्व पार्षद दुर्गादास छंगाणी,पूर्व पार्षद दुर्गादास छंगाणी, किशन ओझा ने किया। इस अवसर पर पुजारी बाबा ने कहा कि शादी विवाह के माहौल में वो गीत ज्यादा व जल्दी स्थान बनाते जिस पर नृत्य किया जा सकता हो, क्योंकि विवाह समारोह में जोश, उमंग…
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