बीकानेर शहर की ये 20 बातें जिसके कारण पहचाना जाता है पूरे विश्व में

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बीकानेर धर्म संस्कृति और कला के तौर पर विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान तो रखता ही है साथ ही ऐसी और भी वजह है जिसके कारण बीकानेर को दुनिया में पहचाना जाता है। इनमे बहुत सी ऐसी बाते है जो आपको सायद ही पता हो,  तो आइए जानते हैं 20 ऐसी वो जगह और ऐसे तथ्य जिसके कारण बीकानेर की दुनिया में एक अलग पहचान है जो आपको जरूर मालूम होना चाहिए और इसके लिए पुरे 20 तथ्य जरूर देखें – 20 – महाजन फाइल फायरिंग रेंज-  …

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कोलकाता में मारवाड़ी समाज की भव्य गणगौर

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कोलकत्ता में लोक सस्कृति का भव्य आयोजन ‘गणगौर महोत्सव’ महोत्सव में नजर आता है रंगीलो राजस्थान की झलक लोक उत्सव,लोक परम्परा और लोक सस्कृति का जीवंत दृश्य  कोलकता के बड़ा बाजार में राजस्थानी गणगौर उत्सव की झलकियां देख कर हर किसी को लगता है कि वो अपने मूल शहर /राजस्थान में आ गया है । राजस्थान में जहाँ बालाएं / महिलाएं गवरजा पूजा करती है दातनीयां देती है,बासा देती हुई गीत गाती है ,तीज -चौथ को गवरे घुमाती हैं , घुलड़े का गीत गाती है,कुए का पानी पीलाती है और…

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घुड़ला और दातनिया देना क्या है, कटे हुए सर का प्रतीक क्यों है

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गणगौर में बाली गवर का पूजन करने वाली लड़किया दोपहर को दातनिया देती है और शाम को घुड़ला लेकर मोहल्ले में घर घर जाती है और गीत गाती है- ‘ म्हारो तेल बले घी घायल की घुड़लो घूमे ला जी घूमे ला’ कटे हुए सर का प्रतीक माने जाने वाला घुड़ला इसके क्या कारण जानिये इस वीडियो में

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जाने राजस्थान के लोकप्रिय त्यौहार गणगौर के बारे में

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गणगौर राजस्थान के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों मे से एक है । गणगौर का त्यौहार होली के अगले दिन ही यानि चैत्र की एकम से शुरू हो जाता हैं और अमावस्या के बाद की तीज तक मनाया जाता हैं । गणगौर मे गवर और इश्वर जी को पूजा जाता हैं । इस पूजा मे गवर यानि माता गौरी का रूप और इश्वर जी यानि भगवान शिव का रूप माना गया हैं । तीज तक चलने वाले इस त्यौहार मे यह माना जाता है कि हर वर्ष 16 दिन के लिए गवर…

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