इस वर्ष महालक्ष्मी पूजन व दीपोत्सव 14 नवम्बर को होने जा रहा है। इस दिन चन्द्रमा स्वाति व विशाखा नक्षत्र में गोचर करते हुवे तुला राशि में रहेंगे। भारत के प्रमुख शहरों के अनुसार दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। बीकानेर कुम्भ लग्न दो.1:17 से 2:45 , वृषभ लग्न सा. 5:49 से 7:44 , सिंह लग्न रा. 12:13 से 2:32 चौघड़िया अनुसार शुभ समय लाभअमृत दो. 1:42 से 4:23, लाभ सा. 5:44 से 7:23 , शुभअमृत रा. 9:3 से 12:21 जयपुर कु. ल. 1:5 से 2:34 , वृ.…
Read MoreTag: bikaner
ये भारतीय बुजुर्ग भी न ! हर बात पर-ऐसा करो वैसा करो और ऐसा मत करो
ये भारतीय बुजुर्ग भी न ! हर बात पर-ऐसा करो वैसा करो और ऐसा मत करो । अरे, दुनियां कहां से कहां पहुँच गई और ये… (दुनियां कही पहुंचे लेकिन अन्तोगत्वा हमारे भारतीय बुजुर्गो व संस्कृति को तो मानना ही पड़ता है हमें गर्व है और आज दुनियां भी मानने लगी है) – घर में घुसते ही ड्योढी पर पहले हाथ- मुहं पैर धोवो । -अस्पताल जाकर आए हो तो पहले नहाओ -शवयात्रा में गए हो तो घर से बाहर नहाओ। -जन्म और मरण हो तो सुआ और सूतक के…
Read Moreभुजिया के अविष्कार की पूरी कहानी जानिए
बीकानेर का भुजिया विश्व प्रसिद्ध है और इसको सबसे पहले बीकानेर में ही बनाया गया था आज बीकानेर के हल्दीराम बीकाजी और अन्य कई ऐसे ब्रांड है जो भुजिया नमकीन मिठाई विदेशो में भी एक्सपोर्ट करते है। तो आज आप जानिए कैसे सबसे पहले हुई थी शुरुआत..
Read Moreहोली के बाद जाम बीज को पापड़ उवारना भी जरूरी
होली खेलने के बाद राम राम वाले दिन या उसके अगले दिन द्वितीया को जिसे जाम बीज या जमला बीज भी कहते है, इस दिन बहन भुआ या स्वास्नी अपने भाई भतीजे आदि को उनके ऊपर से एक उतारा करने की परम्परा है। पानी का लौटा, तला पापड़, कैर, काचरी व फली तली हुई लेकर उपर से उवारती है यानी क्लॉक वाइज घुमाती हैं फिर घर से बाहर जाकर पापड़ आदि सामग्री सड़क पर रख उसके चारों ओर एक वृत्ताकार घेरा यानि चक्रिया बनाती है । सामग्री को सड़क पर…
Read Moreबीकानेर में होली खेलने से पहले लेते है मां नागणेची से स्वीकृति
पहले माँ भगवती खेलती है होली, फिर बीकानेर शहरवासी इस शहर में होली पूरे 8 दिन खेली जाती है। शहर के लोग एकत्रित होकर फाल्गुन शुक्ला सप्तमी (खेल सप्तमी) को माँ भगवती नागणेची के दरबार पहुचते है और सबसे पहले भगवती को होली खेलाकर उन्हें रिझाते है और प्रार्थना करते है कि आज 8 दिन लगातार उन्हें होली खेलने की इजाजत दे और इस दौरान शहर में शांति सद्भाव बना रहे और आनन्द की बयार बहती रहे। भक्त अपने भाव से माता द्वारा शहर में होली खेलने की स्वीकृति लेकर…
Read Moreबीकानेर के देवी कुंड सागर का चमत्कारी सती माता मंदिर जहां खंभों से आज भी बहता है दूध
बीकानेर का देवी कुंड सागर जो यहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर गडसीसर गांव के पास स्थित है बीकानेर राजवंश का श्मशान घाट कहा जाता है। बीकानेर के पूर्व राजाओं महाराजाओं रानियों का अंतिम संस्कार इसी जगह पर किया गया वह जिस जगह पर उनका दाह संस्कार किया गया उसी जगह पर एक छतरी बना दी गई। यहां महाराजा गंगा सिंह जी की पत्नी वल्लभ कुंवर देवी की भी छतरी है जिसे ‘दूध झरने वाली छतरी’ भी कहा जाता है। यहां आज भी दूध झरने की घटना होती…
Read Moreबीकानेर शहर के 100 वर्ष पुराने धूणे, संस्कृति बचाये रखे है हमारे धूणे
बीकानेर की धूणा संस्कृति बीकनेर शहर के अलग अलग चौक में स्थाई रूप से धूणे बनाये गए है जो सर्दी में ना सिर्फ चर्चा करने स्थान है बल्कि यही से जीव जंतुओं की सेवा का कार्य भी होता है। अलाव तपने के साथ साथ बीकानेर शहर के लोग यहाँ गाय, गोधो, कुतो की देख रेख करते है। जानिये पूरी डिटेल में हर चौक के धूणे के बारे में वीडियो में
Read More