ये है वास्तविक ‘डोलची’ -यह चमड़े की बनी होती है। -डोलची ऊंट की खाल से बनी होती है। -इसके पीछे लकड़ी का हत्था इसे पकड़ने के लिये होता है। -इसमें करीब 800 से 900 ml पानी भरा जाता है। -इसका आगे का मुंह तिकोना टाइप होता है। -यह दो प्रकार की होती है,लेफ्ट हेंडर के लिये अलग व राइट हेंडर के लिये अलग। -इसकी लम्बाई 9 इंच होती है। -इसका मुच् करीब साढ़े तीन से चार इंच तक बनावट के अनुरूप होता है। -इसमें पानी भर कर एक दूसरे की…
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बीकानेर शहर के 100 वर्ष पुराने धूणे, संस्कृति बचाये रखे है हमारे धूणे
बीकानेर की धूणा संस्कृति बीकनेर शहर के अलग अलग चौक में स्थाई रूप से धूणे बनाये गए है जो सर्दी में ना सिर्फ चर्चा करने स्थान है बल्कि यही से जीव जंतुओं की सेवा का कार्य भी होता है। अलाव तपने के साथ साथ बीकानेर शहर के लोग यहाँ गाय, गोधो, कुतो की देख रेख करते है। जानिये पूरी डिटेल में हर चौक के धूणे के बारे में वीडियो में
Read Moreबीकानेर व्यास जाति के झूझार ( लौंदा बाबा) गर्दन कटने पर भी लड़ते रहे, अखातीज पर होती है पूजा
बीकानेर का शहर परकोटा वीरों और योद्धाओं का क्षेत्र है, ऐसे बहुत से उदाहरण मिलते है जब यहाँ के लोगों ने अपनी आन बान शान और समाज के लिये अपनी जान न्यौछावर कर दी। कई तो ऐसे भी हुवे है जिनकी गर्दन धड़ से अलग हो गई, फिर भी वे शांत नहीं हुवे और तलवार घुमाते हुवे लड़ते रहे। व्यास जाति के एक वीर ने वर्षो पहले किसी लड़ाई में गर्दन धड़ से अलग होने पर भी अपने दुश्मनों से लड़ते रहे, क्रोध इतना था कि उनकी तलवार चलती रही।…
Read Moreहवेलियों, पाटों, चौक व गुवाड़ वाला शहर बीकानेर
जन्मदिन अक्षय तृतीया पर विशेष बीकानेर शहर में लाल पत्थरों की हवेलियां और उनकी नक्काशी, ऊँठ की खाल पर उस्ता कला, काष्ठ पर मथेरण कला,शहर के दरवाजे,गेट,बारियां, गुवाड़, घाटी,चौक और चौक में रखे हुवे बड़े -बड़े पाटे इस शहर को खाश बनाते है। खाशकर शहर परकोटे की खाश जानकारी लगभग हर चौक की जो मौखिक सूत्रों से संजय श्रीमाली ने लिखी है। आप भी जानकर पढ़कर आनंदित होंगे। (रमक झमक) इतिहास व सस्कृति से समृद्ध शहर बीकानेर शहर ऐतिहासिक एवं सांस्कृति दृष्टि से बहुत समृद्ध रहा है। शहर की बनावट,…
Read Moreशादी व सन्तान के लिये करें यहां बारहमासी गणगौर के दर्शन
बारहमासा गणगौर चमत्कारिक शादी व सन्तान के लिये करें दर्शन ——————– गणगौर अनेक रूपों मे प्राचीन काल से ही पुजन की जाती रही है कुआँरी गणगौर,धींगा गणगौर, बारहमासा गणगौर । बारह मासा गणगौर चैत्र शुक्ल एकादशी व द्वादशी को दोपहर निकलती है और गढ़ पहुँचती है जहाँ भव्य मेला भरता है और सभी गणगौर इकत्रित होती है खोल भरी जाती है और महिलाए अपने साड़ी या ओढ़ना के पल्लू को गीला कर गवरजा को पानी पिलाती है। बारहमासा गणगौर का व्रत करने का विधान है, कहते है उसे नियमपूर्वक करने…
Read Moreरंग लगाने से हटेंगे मतभेद, आएंगी खुशियां
रंग लगाने से हटेंगे मतभेद, आएंगी खुशियां जीवन में रंग न हो तो जीवन सूना सूना हो जाता है । दुनियां सप्त रँगी है और रंगों का जीवन पर असर शत प्रतिशत होता है ।होली पर सब लोग रंग से खेलते है लेकिन पता हो कि कौनसा रंग हमारे शरीर को शुटेबल है और जिसका ज्योतिषीय दृष्टिकोण व रंग थेरेपी का सकारात्मक असर होता हो,तो होली वास्तव में खुशनुमा त्योंहार बन सकता है अन्यथा तो आजकल लोग रंग लगाते है जलाने, चिढ़ाने या नुकसान के भाव से ।(ramakjhamak) इसबार की…
Read Moreयुवाओं ने भरें कुरीतियां मिटाने के संकल्प पत्र
युवाओं ने भरें कुरीतियां मिटाने के संकल्प पत्र पुष्करणा सावा में एक ही दिन में सेकड़ो शादियां होनी है इसी को ध्यान में रखते हुए रमक झमक द्वारा युवाओं व बड़ो से भी विवाह में कम खर्च करने व कुरीतियां कम करने का संकल्प दिलाया गया। युवाओं ने स्वयं के विवाह में पेचा, ओढा, मिलनी आदि की अतिवादिता को कम करने का संकल्प लिया। यह संकल्प पत्र बारह गुवाड़ चौक में पुजारी बाबा के सानिध्य में भरवाया गए। पुजारी बाबा ने कहा कि युवा इस संकल्प को ले कि वे…
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