जाने बड़ी तीज का क्या है विधि विधान और तीज की कथा

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कजली तीज :- यह व्रत भाद्रपद कृष्ण तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन जौ, गेहूँ, चने और चावल के सत्तू में घी, मीठा और मेवा डालकर उसके पदार्थ बनाते और चन्द्रोदय के बाद उसी का एक बार भोजन करते हैं। इस कारण यह व्रत ‘सातूडी तीज’ अथवा ‘सतवा तीज’ कहलाता है।कजली तीज को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्त्रियाँ रात-भर कजली गाती और नाचती हैं।सावन के तीसरे दिन अर्थात श्रावण कृष्ण तृतीया विशेष फलदायी होती है क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित…

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