सेटेलाइट से हमारे मौसम विभाग द्वारा वर्तमान समय में बारिश पर भविष्यवाणी की जाती है। लेकिन जब आज का आधुनिक सिस्टम नही था विज्ञान नही था तब भी हमारे बुजुर्ग भी अनूठे तरीकों से अनुमान लगा लेते थे और आज भी गांवों में बड़े बुजुर्ग कई तरीकों से बारिश का अनुमान बता देते है। पारंपरिक तरीके से बुजुर्ग कीट, पतंग, पशु व पक्षियों के व्यवहार से ही बरसात का अनुमान लगा लेते थे और आज भी बुजुर्गो से ये तरीके सुनने को मिल जाते है। प्रकृति को लगातार महसूस करने से ये बारिश का अनुमान लगा लेने का अनुभव हासिल किया है। बारिश के होने का सटीक अनुमान लगाते हुए बुजुर्गों को देखा गया है गांवों में खेतो में ये अनुमान पहले लगा लेना बहुत फायदेमंद रहता है। कहावतों के माध्यम से कुछ संकेत रमक झमक के द्वारा आप तक पहुंचा रहे है आप भी इन्हें परख कर जरूर देखें तो आप भी अनुमान लगा पाएंगे की बारिश कब होने वाली है।
आप अपने क्षेत्र में पशु पक्षियों के व्यवहार को देखकर कैसे पता करें कि आपके क्षेत्र कहां कब कितनी बरसात होगी यह रोचक जानकारी आपके लिये:-
चींटी और चिड़िया ऐसे देती है बारिश का संकेत
चींटी ले अंडा चले, चिड़ी नहावे धूर।
ऐसा बोले भड्डरी वर्षा हो भरपूर ।।
– चींटियां अचानक समूह में अंडे लेकर एक जगह से दूसरी जगह जाना शुरू करती है या चिड़िया धूल में पंख फड़ फड़ा कर नहाना शुरू करती है तो वर्षा का संकेत है।
कौआ रात में करें कावं-कावं
रात मा बोले कागला, दिन मा बोले स्यार।
या होये झरवदरी या फिर देश उजार।।
– रात में कौवा बोले और दिन में सियार फेत्कार करे तो ये दोनों इस बात का संकेत है कि या तो तबाही बरपाने वाली भारी बारिश होने वाली है या कि सूखा पडऩे वाला है।
ऊँटनी बताए बारिश
आगम सूझै सांढणी, तोड़ै थलां अपार।
पग पटकै, बैसे नहीं, जद मेहां अणपार।
– यदि चलती ऊँटनी को रात के समय ऊँघ आने लगे, तब भी बरसात का होना माना जाता है।
लोमड़ी जब ये करे
धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त|
भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त|
– यदि वर्षा ऋतु के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होगी।
मेढ़क जब टर्र टर्र करे
उतरे जेठ जो बोले दादुर।
कहैं भड्डरी बरसें बादर।
– ज्येष्ठ मास के समाप्त होते-होते यदि मेढ़क बोले तो समझना चाहिए कि बादल पानी बरसाएंगे ऐसा मानना चाहिये।
क्या कहते है सारस व तीतर
अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह|
सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह ||
– तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने आने वाली है।
गिरगिट उलटा चढ़े तो
उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़ै।
बरखा होई भूइं जल बुड़ै।।
– यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा।
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