जानिए स्थापना दिवस पर चंदा उड़ाने से लेकर खिचड़ा बनाने व मटकी पूजन की परंपरा के बारे में

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बीकानेर को राती घाटी, जांगल प्रदेश, उंटो का प्रदेश, धर्मनगरी का शहर कहा जाता है। इस वर्ष बीकानेर शहर अपना 535 वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस शहर की स्थापना राव बीकाजी द्वारा 1488 ई में करणी माता के आशीर्वाद से हुई थी। बीकाजी ने अपने पिता के राज्य के राज पाठ को छोड़ ये नया शहर बीकानेर बसाया था। आखाबीज के दिन राव बीकाजी ने बीकानेर शहर की स्थापना की थी। उस समय से शहर में चंदा उड़ाने से लेकर हर घर में खिचड़ा, इमलानी, बड़ी की सब्जी, चंदलिया की सब्जी, मून वाली रोटी बनाने की परंपरा भी चलती आ रही है।

क्यों उड़ाया जाता है चंदा

बीकानेर की स्थापना के बाद जब शहर के विस्तार की बात चलने लगी तो सब ये सोचने लगे की शहर का विस्तार किस ओर किस दिशा में किया जाए। तो राव बीकाजी ने लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में सूर्य देव को नमस्कार करते हुए कपड़े से बनी शाही पतंग को अपनी 22 गज लंबी पगड़ी को डोर के रूप में काम लेकर शाही पतंग को उड़ाया था। तब पतंग उत्तर पूर्व दिशा में आसमान में उड़ती चली गई विस्तार के इस संकेत को मान राव बीकाजी ने इसी दिशा में शहर का विस्तार किया था। तब से लेकर आजतक चंदा उड़ाने की परंपरा चलती आ रही है।

आश्चर्य रूप से आज भी हवा उत्तर पूर्व की ओर एक बार जरूर होती है

यह जानकर अधिकांश लोगों को हैरानी होगी कि स्थापना दिवस पर आज भी हवा का रुख या बहाव एक बार उत्तर पूर्व की ओर अवश्य होता है। इस सम्बंध में वर्षो से चन्दा बनाने वाले साफ़ा वाले व्यास परिवार के गणेश व्यास का कहना है कि बीकाजी ने जो चन्दा उड़ाया वो हवा के रुख से उत्तर पूर्व की ओर गया। आज तक ऐसा नहीं हुआ कि स्थापना दिवस पर हवा उत्तर पूर्व की ओर नहीं चली हो।

नगर सेठ के प्रांगण में और जूनागढ़ किले में उड़ता है चँदा

बीकानेर में मथेरण कलाकरों ने शुरू किया चन्दा बनाना आज गणेश व्यास, बृजेश्वर लाल व्यास, अनिल बोडा, किशन पुरोहित बना रहे है। पेंटर धर्मा, मोना सरदार डूडी व रामकुमार भादाणी आदि बनाने सजाने चित्र उकेरने मे अग्रणीय कहे जा सकते है। कई चौक में चँदा उड़ता था आज भटडों के चौक में अनिल बोडा व साले की होली चौक में श्री सुरेश आचार्य चँदा बनाकर उड़ाने की परम्परा को जीवन्त रखे हुवे है।

बीकानेर के पुराने किले नगर सेठ लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में और जूनागढ़ में आज भी चंदा उड़ाकर ये परंपरा निभाई जाती है। नगर सेठ मन्दिर प्रांगण मे जिला प्रशासन व लक्ष्मीनाथ मन्दिर पर्यावरण समिति, कलाकार व रौबीले मिलकर चँदा उड़ाते है। हर वर्ष आखाबीज और आखातीज (अक्षय तृतीया) को बीकानेर के लोग पतंग उड़ा कर बीकानेर स्थापना दिवस को मनाते हैं। चंदे पर भगवान के चित्र, गढ़, कलाकृति युक्त संदेश लिखे जाते है। जिसे रस्सी से उड़ाया जाता है।

घरों में बनता एक ही भोजन खिचड़ा-इमलानी

बीकानेर स्थापना दिवस की खुशी मनाने के लिए यहां की परंपरा में समानता और एकता का भाव साफतौर देखा जा सकता है। आखाबीज के दिन शहर के सभी घरों में एक ही भोजन खिचड़ा, बड़ी की सब्जी, ईमलानी, बनती है। ईमलानी खासतौर पर लू से बचाती है और पतंग उड़ाने के शौकीन लोग दिनभर पतंग उड़ाते है। वहीं शाम को चंदनिया की सब्जी व मून वाली रोटी जिसमे दो परत बनती हो वह बनाई जाती है। यही रसोई बीकानेर के हर घर में बनती है।

कोरी मटकी पूजन की भी है परंपरा

बीकानेर स्थापना दिवस वैशाख महीने में आता है और इन दिनों गर्मी अपना तेज दिखाने लगती है। इस गर्मी में ठंडे पानी के लिए राजस्थान में मिट्टी से बनी मटकी का उपयोग किया जाता है। बीकानेर में आखाबीज (अक्षय तृतिया से एक दिन पहले) के दिन नई कोरी मटकी और लोटड़ी घर लाई जाती है। इस दिन नई मटकी के कुमकुम से स्वास्तिक की आकृति बनाकर पूजा की जाती है। मटकी और लोटड़ी के मौली को बांधा जाता है। मटकी को प्रसाद के तौर पर घर में बनी खिचड़ा, बड़ी की सब्जी और इमलानी का भोग लगाया जाता है।

पूरा परिवार एक साथ करते है भोजन

परिवार के मुखिया पुरुष से छोटे बच्चे तक सभी साथ समूह में बैठकर भोजन करते है। महिलाओं का भी इसी तरह समूह होता है। सभी बड़े छोटे सबसे पहले एक दूसरे को ‘कवा’ देते है।

उत्सव की तरह मनाया जाता है बीकानेर स्थापना दिवस

बीकानेर की जनता बीकानेर के नगर स्थापना दिवस को उत्सव की तरह मनाती है। लोग छतों पर पतंबाजी करते है और दिनभर नाश्ते और ठंडे का दौर चलता रहता है। छतों पर स्पीकर लगाकर गाने की धुन पर नाच भी इस दिन देखा जा सकता है। माइक पर बोलने के शौकीन लोग पतंगों पर लाइव कमेंट्री भी चलती रहती है। पतंग कटने और काटने पर ‘बोई काट्यया हे’ की आवाज चारो तरफ से सुनाई देती है। हवा के सुस्त होने पर सभी ‘गवरा दादी पून दे टाबरियो रा किना उड़े’ बोलते है। शाम होते होते शहर पतंगों के साथ साथ आगासियो से अट जाता है और चारो तरफ आतिशबाजी कर खुशी मनाई जाती है।

राधेकृष्ण ओझा

बीकानेर स्थापना से जुड़ी पूरी ऐतिहासिक जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए वीडियो को जरूर देखें.. हमारे फेसबुक पेज और यूट्यूब फॉलो करे।

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