बीकानेर की होली का एक रंग ये भी देखिए होलिका दहन के बाद ब्राह्मणों की मंत्र जाप होली

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बीकानेर की होली का एक रंग ये भी देखिए होलिका दहन के बाद ब्राह्मणों की मंत्र जाप होली

आपने बीकानेर की होली के विभिन्न रंग देखे होंगे। यहां गीत, संगीत, हुलड़, मौज, मस्ती, गेवर और रंग गुलाल के साथ बीकानेर की होली का बहुत अनूठा व सकारात्मक शक्ति देने वाला एक आयोजन और भी है जिसको बहुत कम लोगों ने सुना है और उससे भी कम लोगों ने देखा है। हम बात कर रहे है होलिका दहन के पश्चात पास बैठकर मंत्र जाप करने वाले ब्राह्मणों की संस्कृति की।

होलिका दहन के पश्चात देर रात तक चलता है मंत्र जाप

बीकानेर शहर परकोटा जो ब्राह्मण बाहुल्य है यहां होलिका दहन के पश्चात इसके चारों और ब्राह्मण अपने आसन लगाकर बैठ जाते है और मंत्र जाप करते है। इसे ‘मन्त्र साधना आत्म शोधन होली’ कह सकते है। जहां होलिका का प्रज्वलित होने के तुरन्त बाद ज्यादार लोग परिक्रमा या अंगारे लेकर घर चले जाते है या कुछ इधर उधर अपनी मस्ती में मस्त हो जाते है वहीं शहरी परकोटे के खुले चौक में होलिका की अग्नि की लपटों और अंगारों के चारों और अपने अपने आसन लगाकर के मन्त्र साधना में लग जाते है। ऐसा शहर के लगभग हर चौक में होलिका दहन के पश्चात देखने को मिलता है।

होली की रात मंत्र जाप हो सकता है सिद्ध

शहर के बड़े बुजुर्ग ब्राह्मण आज भी अपने बेटों को इसके लिये प्रेरित कर रहे जिससे होलिका के चारों और लाल अंगोछा गमछा धारण किये गोलाकर रूप में मन्त्र साधना करने वाले अनेक लोग हो जाते है। कुछ युवा ऐसे है जो होली साधना, मन्त्र साधना या आत्म शोधन करने वालों के लिए जमीन पर बैठे इन होली साधको को पेयजल धूप उपलब्ध करवाकर उनका सहयोग करते है ।

हुल्लड़ के बीच मौन साधना

होली दहन के बाद जैसे जैसे रात गहरी होती है ये साधक घरों से काम काज निपटा कर आसन लेकर होलिका के नजदीक आते रहते है और अपने गुरु या इष्ट मन्त्र का जाप व ध्यान करते है। होली की रात मंत्र जाप कर सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। होली की हुड़दंग के बीच अपना व जगत का कल्याण की भावना से ऐसी साधना व प्रेरणा का भाव इन ब्राह्मण परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी स्वतः ही आ रहा है। जो लोग बीकानेर शहर की इस होली के रंग से या नजरिए से अनभिज्ञ है उनके लिये यह जानकारी अद्धभुत व अनूठी होगी । क्योंकि इस पक्ष पर ज्यादा किसीने देखा न समझा न लिखा। रमक झमक डॉट कॉम का प्रयास है कि आपके सामने लुप्त होती या फिर शहर की गलियों में छिपी या दबी इन अनूठी परम्पराओं और संस्कृति से भी आपको पहचान करवाए।

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