बीकानेर की होली में बिना नशे के भी नशा चढ़ जाता है
हर किसी को बिना पियें भी चढ़ता है यहाँ भांग का नशा
जी हां अलमस्त शहर बीकानेर में होली तब और भी परवान पर होती है जब लोग भांग पीकर और अनेक बिना भांग के भी नशे का अहसास करने लगते है । होली के दिनों में जब अपने परिचितों के घर या दुकान पर जाये तो आपको पूछा जाएग मिठाई, भुजिया, नमकीन, भांग की मिठाई या भांग के भुजिया क्या लेंगे आप ? अगर आप शौकीन है भांग के तो बस! आपकी मान मनुहार और भांग के गुण गान शुरू। आप माने ना माने चाहे आपने सादे भूजिए ही खाए हो पर पास बैठे लोग आपको भांग का नशा चढ़ा ही देंगे और तो और बाहर राह चलता चौक और गुवाड़ का व्यक्ति भी आपको नशा चढ़ाने के प्रयत्न में लगेगा ।
एक दूसरे आपस में खुशफूस गुन गुन कानाफुसी करेंगे वो भी इस तरह करेंगें कि आपको भी समझ आ जाए ।
अरे यार इनको तो सच मे चढ़ गई अपने तो बहुत थोड़ी मात्रा में मिलाई थी, दूसरा बोलेगा साहब चिंता न करो इसमें भांग नहीं थी बस यूंही उसकी सुगन्ध से हल्का असर है आप पर, तो तीसरा बोलेगा अरे इनको लेटा दो, घर बाद में छोड़ देना, चौथा बोलेगा मैं छोड़ दूंगा घर।
अब उसको ये मनोविज्ञान का असर सच मे होने लगता है कि कही सच में तो भांग नहीं ख़िलादी उस चीज में मिलाके, फिर वो अपने आपको इधर इधर या चेहरे को शीसा में देखकर या बेठ कर उठकर परखने जांचने की कोशिश करता कि वास्तव में इसका असर तो नहीं हुवा ? अगर वो सीरियस होकर या गुस्सा होकर कहता है कुछ असर नही है आप ऐसे ही कह रहे हो । तो जवाब होता है देखो असर हो गया फालतू का गुस्सा आ रहा है इस भांग से, पहली बार ली है न ! अगर मुस्कुरा के बोल दिया कि नही साहब कुछ नहीं है आप मजाक कर रहे हो! तो जवाब होता है वाह क्या बात है ये है भांग की असली रंगत, बिना कारण इनको हँसी आ रही है ।
कोई कहेगा घर जाके भाईसाब सो जाना पत्नी को बोलकर थोड़ा दूध घी मिलाकर दे दे जिससे जल्दी उतर जाएगी । कभी कोई कहेगा अपने को इनके साथ मजाक मजाक में ख़िलादी और इनकी जुबान लड़ खड़ा रही है ,अब इनको कोई अच्छा पान ख़िलादो । पान में तो भांग नहीं है न ???
आखिर आपको कुछ ही देर में अहसास होगा कि आपको नशा चढ़ रहा है किसी ने आपको किसी चीज में भांग ख़िलादी है । शहर में वास्तव में जितनी भांग बिकती है या लोग भांग पीते है वो बहुत कम है लेकिन माहौल पूरा भांग मय और हास्य विनोद का रहता है । कौन पीया है कौन एक्टिंग कर रहा और कौन आपको बिना भांग खिलाए भी नशा चढ़ाने की कोशिश कर रहे ये पहचान मुश्किल है । छोटे से बड़े बुजुर्ग तक सभी एक ही माहौल में रम्म जाते है सगे सम्बन्धी को नशा चढ़ जाने का अहसास करवाते रहते है । कई बार तो खुद भी एक्टिंग करते है कि उनको भांग चढ़ गई है इसलिये अब तुम अपना ध्यान रखना । परकोटे के बाहर या अन्य शहर के लोगों के तो बिल्कुल समझ नहीं आता ! बिना भांग पियें ये मस्त मौजी बीकानेर शहर के लोग अष्टमी से होली तक यू ही मजा लेते रहते है और हर किसी को बिना भांग के भी भांग नशे का अहसास होता रहता है ।
वैसे प्रति दिन ठीक 11:56 बजे भांग सम्मेलन होता है, उसमे भांग पीने वालों के साथ देखने भी बहुत संख्या में पहुँचते है और वो भांग पीने वालों से ज्यादा नशा चढ़ गया का अहसास करते है ।ये है बीकानेर शहर की होली जो बिना भांग के भी भांग का नशा चढ़ा देती है। एक खासबात और अगर किसी ने वास्तव में पहली बार भांग ले ली और नशा चढ़ गया जब ये भांग प्रेमियों को पता चलता है तो वो खुद उसकी मदद करते है। उसे मलाई हलवा खिलाते है और लेटा देते जिससे उनका नशा शांत हो जाता है । भांग प्रेमी बताते है कि भांग पीया हुवा व्यक्ति सात्विक रहता है, उत्पात, झगड़ा, अश्लील हरकत या चोरी जैसी घटना नहीं करता बल्कि वो आध्यात्मिक व वैराग्य की तरफ रहता है वो सकारात्मक सोचता है, अपनी ही मस्ती व तरंग में रहता है और दुसरों को दखल नहीं देता। भांग प्रेमी एक निश्चित समय प्रतिदिन 11:56 बजे पर एक जगह एकत्रित होकर भांग घोटते है व शिव को चढ़ाते हुवे भांग की महिमा
पहले साफी साफ कर, पीछे रंग लगाय, चला जाए कैलाश को, शिव को शीश नवाय…. के उद्घोष के साथ शुरू होता भांग का छनाव।
– राधेकृष्ण ओझा
फोटो – एस एन जोशी
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