बीकानेर का देवी कुंड सागर जो यहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर गडसीसर गांव के पास स्थित है बीकानेर राजवंश का श्मशान घाट कहा जाता है। बीकानेर के पूर्व राजाओं महाराजाओं रानियों का अंतिम संस्कार इसी जगह पर किया गया वह जिस जगह पर उनका दाह संस्कार किया गया उसी जगह पर एक छतरी बना दी गई।
यहां महाराजा गंगा सिंह जी की पत्नी वल्लभ कुंवर देवी की भी छतरी है जिसे ‘दूध झरने वाली छतरी’ भी कहा जाता है। यहां आज भी दूध झरने की घटना होती है जिसके बारे में आप नीचे दिए गए वीडियो में देख सकते है।
यहां सती माता दीप कंवर जी का भी मंदिर है जो अपने पति महाराजा मोतीसिंह जी के वियोग में इसी स्थान पर पर अपने प्राण त्याग दिए। यहां आज तक कई चमत्कार हुए है और आस पास के सैकड़ों लोग यहां दर्शन करने आते है।
15 वीं शताब्दी से लेकर अब तक यहां कई छतरिया बनी है जिसमें राजपूताना कला के साथ मुगल कलाकृतियां भी देखने को मिलती है। देवी कुंड सागर की छतरिया 3 भागों में बंटी है जो आस पास ही स्थित है।
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