बीकानेर शहर यात्रा(4)
भट्ठड़ों का चौक
-संजय श्रीमाली, उस्ता बारी, बीकानेर।
बीकानेर शहर परकोटा ज्योतिषियों पंडितों के लिये भी जाना जाता है लेकिन रात को पाटे पर बैठकर कुण्डली देखने की बात आए तो समझ लीजिये भट्ठड़ों के चौक की बात हो रही है ।
भट्ठड़ों के चौक का पुराना नाम पिपलियों का चौक था। लगभग 100 वर्ष पहले चौक के बीचो-बीच बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था जिसके कारण यह पीपलियों के चौक के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस चौक में भट्ड जाति के लोगों के घर अधिक थे तथा इसके अलावा सेवग, नाई, पुष्करणा ब्राह्मण एवं श्रीमाली जाति के भी कुछ घर रहे। उस समय भट्ठ परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध थे। भट्ड जाति के लोगों का बीकानेर रियासत में महाराजाओं के आना-जाना था।एक समय भट्ठ परिवार में लड़के की शादी थी उस दौरान उस शादी का भव्य झलसा किया गया। इस झलसे की चर्चा पूरे बीकानेर रियासत में हुई तथा उसी दिन से इस चौक को भटठड़ों के चौक से जाना जाने लगा।
भट्ठड़ों के चौक के पूर्व में बाहेती चौक, पश्चिम में बेणीसर बारी, उतर में बारह गुवाड़ तथा दक्षिण में आचार्यों की घाटी लगती है। चौक में चारो दिशाओं में रास्ते निकलते है जो अलग-अलग मोहल्लों में निकलते है। चौक के बीच में श्री रघुनाथ जी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है जो कि रावतसर के ठाकरों का है, तथा लक्ष्मीकुमारी चुण्डावत के ससुराल वालो का है।
भट्ड़ों के चौक में नाईयों की गली (टोपसिया नाईयों की गुवाड़), जाल की गली (अतीत में इस गली में जाल का पेड़ था इस कारण यह गली जाल की गली के नाम से पसिद्ध है), आंचलिया का फळसा (ओसवाल जाति) आदि है। आंचलिया फळसा में ओसवाल जाति के लोग रहते थे। अतीत में राजा रतनसिंह जी के समय में किसी बात को लेकर अनबन होने के कारण रातो-रात यह लोग यह फळसा छोड़ कर चले गये तथा इस फळसे की जिम्मेवारी कालूराम जी व्यास को दे दी।
भट्डों के चौक में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर करीब 200 वर्ष पुराना है साथ ही में चौक के मध्य में अचलेश्वर वाचनालय संचालित होता था। यह वाचनालय वेदमित्र व्यास एवं श्री गणेश दत्त जी की देखरेख में संचालित होती थी तथा कालान्तर में 1967 में श्री कन्हैयालाल व्यास की देखरेख में इस मंदिर एवं वाचनालय का जिर्णोद्वार हुआ।
चौक के बीचो-बीच पानी भरने का स्टेण्ड स्थित है। इस स्टेण्ड को श्री रिखभदास बाहेती द्वारा निर्माण करवाया गया। पानी के स्टेण्ड के पास सर्दियों में देर रात तक धूणा जलता है, वहीं गर्मियांं में पाटे पर देर रात तक चौक के लोग बैठते है।
होली के अवसर पर चौक में फागूराम जी व्यास की रम्मत होती थी। इस रम्मत के लिए रियासत से परमिशन नाई जाति को दी जाती थी। यह नाई समाज की रम्मत थी और फागुजी को उस्ताद समझते थे। वहीं ख्याल आदि बनाते थे। चौक के श्री मूलजी के लड़के श्री गंगादास जी सेवग को तकनीकी ज्ञान बहुत था। श्री गंगादास सेवग होली पर आयोजित होने वाली रम्मत में गत्ते की घोड़ी बनाकर कच्छी घोड़ी नृत्य करते थे, इस प्रकार का नृत्य बीकानेर रियासत में सबसे पहले इन्होंने ही किया। होलीका दहन के समय नाई समाज के गुरू छंगाणी (खाबेड़ी) परिवार वालों को बुलवाया जाता है तथा नाई समाज के चौधरी इस होली को मंगलाते है। उसके पश्चात नाई समाज की गेवर निकलती है। श्री अन्नत लाल श्रीमाली भजन, रम्मत एवं वाणियों के उस्ताद थे। श्री लूणजी नाई भी वाणियों के लिए प्रसिद्ध थे।
भटड़ों के चौक में आरम्भ से ही शिक्षा के प्रति लोगों का रूझान रहा है। भारत आजाद होने के उपरान्त जब ‘फिकी’(फेडरेशन चेम्बर कॉमर्स और इण्डिस्ट्रीज) का गठन किया गया तथा इस चौक के श्री भतमाल भटठ को चेयरमेन नियुक्त किया गया। श्री सूरज करण आचार्य ‘ज्योतिषाचार्य’ ने लगभग 90 वर्ष पहले अपने पैसो से पांवर हाऊस से भट्डों के चौक तक बिजली के खम्बें लगवाकर बिजली का प्रबन्ध किया।
इसी चौक के श्री गणेश दास भटड पुत्र श्री केवल दास भटड बांगड़ ग्रुप के आर्थिक सलाहकार थे। उस समय में श्री सुन्दरलाल भट्ड हिन्दूस्तान मोटरर्स के चेयरमेन थे तथा इनके भाई मोहनलाल भटड ओरिएन्टल कम्पनी में एम.डी. के पद पर आसीन थे। मोहल्ले के पोला महाराज बड़े तपस्वी थे।
श्री गोवरधन दास बोड़ा बिड़ला परिवार के मुख्य रसोइये थे। चौक के शिवप्रताप व्यास एवं श्री मदनगोपाल जी बीकानेर के जाने-माने रसोईये थे। इनकी विशेषता थी कि मोहल्ले में किसी लड़की की शादी में निःशुल्क खाना बनाते थे और एक क्विटंल बेसन की बूंदी एक जैसी लगातार निकाल देते थे। श्री रामकिशन व्यास ‘‘ढाटीजी’’ तेजी मंदी के बहुत बड़े व्यापारी थे। सेठ सांगीदास थानवी (फलौदी वाले) के साथ साझेदारी थी। लगभग 70 वर्ष पहले मगजी श्रीमाली ने इनको मुहर्त दिया तथा इन्होंने मुम्बई जाकर अपना व्यापार आरम्भ किया। श्री व्यास ने स्थानीय अचलेश्वर महादेव को 1 आना साझेदारी की। उस दौरान इन्होंने अच्छा लाभ कमाया तथा यहां आकर स्थानीय मंदिर में चांदी का श्रृंगार, बर्तन भेंट किए तथा मंदिर पर मार्बल लगवाया।
इसी मोहल्ले के व्यापारी वर्ग में राधाकिशन-शिवकिशन ऊन के बहुत बड़े व्यापारी थे। वर्तमान में इनका कार्य श्री शंकरलाल आचार्य देख रहे है। श्री नंदलाल व्यास एवं स्व. छगनलाल व्यास बिड़ला ग्रुप में मुख्य सलाहकार थे और उनकी देखरेख में सारी इण्डस्ट्रिज (कोलकाता) में चलती थी। इनकी विशेषता थी कि यह जब भी बीकानेर में आते तो अपने दोस्तों को घर बुलाकर कर खाना खिलाना, भांग पिलाना आदि कार्यों में खूब आन्नद लेते थे।
श्री सीनजी पुरोहित मुम्बई में तेजी-मंदी एवं चांदी के बड़े व्यापारी हुए। इनके पुत्र श्री हरिगोपाल जी पुरोहित ‘फनको जी’ ने इनके व्यापार को संभाला। इनके द्वारा निर्मित ‘गोल कटला’ स्टेशन रोड़, ‘बीकानेर भुजिया भण्डार’ के ऊपर बना पूरे बीकानेर में मशहूर है।
यह चौक में ज्योतिषियों के लिए भी जाना जाता है। यहां देर रात्री को पाटे पर ज्योतिष चर्चाएं एवं कुण्डियों का अध्ययन किया जाता है। इस चौक में ज्योतिष विद्या हेतु ‘मोमू महाराज’ प्रसिद्ध है। इस चौक के डॉ एम सी मारू व डॉ के एल मारू ने चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में लोगों के दिलों में अपना स्थान बनाया। चौक के ममु महराज, भंवर पुरोहित , सीन महाराज व सुनील बोड़ा जैसी अनेक शख्शियत सामाजिक सरोकार व पाटो की शान है।
चौक में राजनीति क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है सन् 1967 में श्री मक्खन लाल शास्त्री चुनाव प्रचार हेतु यहां आए तब रात को इसी चौक में विश्राम किया। श्री रिखबदास बोड़ा को 1975 के आपतकाल में जिंदा या मुर्दा पकड़ने का वांरट निकला, लेकिन अपनी चतुराई के कारण श्री बोड़ा पकड़ में नहीं आ पाए।
शिव कुमार सोनी का योगदान
रमक झमक की बीकानेर शहर यात्रा की सीरीज में अपनी ओर से उस शख्शियत का योगदान का उल्लेख करना भी ज़रूरी है जिनका शहर परकोटा सस्कृति में महत्ती भूमिका रही है ।
सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय के सहा/अति.प्रशासनिक अधिकारी शिवकुमार सोनी ने वर्षो तक शहर की सास्कृतिक धरोहर,सास्कृतिक विरासत व सास्कृतिक आयोजन को खूब अच्छे ढंग से कवरेज किया है । शहर के मोहल्ले व गली तक श्री सोनी की सास्कृतिक पकड़ मजबूत है ।आज इस सीरीज को आप तक पहुचाने में श्री संजय श्रीमाली ने भी उनके आलेखों का आभार जताया है।(रमक झमक)
जानिये बीकानेर की खासियत देखिये वीडियो और शेयर कीजिये