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कहीं घूमने जा रहे है तो इन चीजों को साथ ले जाना ना भूलें

कहीं घूमने जा रहे है तो इन चीजों को साथ ले जाना ना भूलें गर्मी के दौरान अक्सर सभी ठंडे इलाको, पहाड़ी एरिया और धार्मिक यात्रा के लिए घूमने बाहर जाते है। ये घूमने के लिए सबसे सही समय होता है क्युकी बच्चो के वैकेशन का समय भी चल रहा होता है। तो अगर आप कहीं घूमने जा रहे है तो हम आपके सामान पैकिंग में मदद करने वाले है और ऐसी चीजों को बताने वाले है जो अक्सर हड़बड़ी ...

एक ऊंठा ऊंठा बी ऊंठा साढ़े सात – मारजाओ के पहाड़े और पढ़ाने के तरीके

एक ऊंठा ऊंठा बी ऊंठा साढ़े सात - मारजाओ के पहाड़े और पढ़ाने के तरीके आज की पीढ़ी को ये समझ ही नहीं आयेगा कि ये ऊंठा - ढूंचा क्या है ये कौनसा पहाड़ा होता है ? लेकिन हमारी पिछली पीढ़ियों ने पढ़ाई ही इन तरीकों से की है गणित के पहाड़ों को याद इसी तरीके से किया है। इसलिए पिताजी दादाजी को हिसाब के लिए कैलकुलेटर की जरूरत ही नहीं पड़ी। कोई भी हिसाब हो पॉइंट्स का हो या ...

‘घी’ ढुळे तो कोई बात नीं, ‘पानी’ ढुळे तो म्होरो जी बळे”

याद आने लगे बीकानेर के कुएं ! 'घी' ढुळे तो कोई बात नीं,'पानी' ढुळे तो म्होरो जी बळे" बीकानेर शहर में इन्दिरा गांधी नहर (पूर्व में राजस्थान नहर/गंग नहर) से पहले पानी का स्रोत तालाब, कुण्ड, बावड़ी व कुएं ही थे। बीकानेर में लगभग 50 से अधिक कुए थे। कुछ रियासत ने और कुछ धनाढ्य लागों या समूह द्वारा बनाए गए थे। कुछ कुए पूर्ण बन्द हो गए, कुछ अभी भी सम्भवतः चालू है और कुछ को चालू किया जा ...

रमक झमक ने किया जमादार सुनील का सम्मान

रमक झमक ने किया जमादार सुनील का सम्मान बीकानेर। शहर की साहित्यिक,सामाजिक व सास्कृतिक आयोजन व उत्सव की सफलता में सफाई व स्वच्छता का महत्वपूर्ण योगदान है। रमक झमक संस्था द्वारा इसी क्रम में आज वार्ड नम्बर 58 के जमादार सुनील गुजराती का अभिनन्दन किया। अशोक छंगाणी, महेश आचार्य व रमक झमक अध्यक्ष प्रहलाद ओझा 'भैरु' ने ओपरणा,श्रीफल व अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया। राधे ओझा ने बताया सुनील दत्त गुजराती ने कोरोना काल व पुष्करणा सावा में भी सफाई ...
लौंदा बाबा

बीकानेर व्यास जाति के झूझार ( लौंदा बाबा) गर्दन कटने पर भी लड़ते रहे, अखातीज पर होती है पूजा

बीकानेर का शहर परकोटा वीरों और योद्धाओं का क्षेत्र है, ऐसे बहुत से उदाहरण मिलते है जब यहाँ के लोगों ने अपनी आन बान शान और समाज के लिये अपनी जान न्यौछावर कर दी। कई तो ऐसे भी हुवे है जिनकी गर्दन धड़ से अलग हो गई, फिर भी वे शांत नहीं हुवे और तलवार घुमाते हुवे लड़ते रहे। व्यास जाति के एक वीर ने वर्षो पहले किसी लड़ाई में गर्दन धड़ से अलग होने पर भी अपने दुश्मनों से ...