अगर आपकी कुंडली किसी भी ग्रह से पीड़ित है या ग्रह सम्बन्धी समस्या से आप ग्रसित है तो ना केवल उसका दान-जाप बल्कि रिश्तेदारों की सेवा उन्हें प्रसन्न रखने से भी ग्रह की समस्या दूर होती है और प्रसन्न होकर शुभ फल देते है ।
सूर्य- सूर्य पिता एवम पितृ पक्ष यानी दादा-दादी और दशम भाव का कारक है । सूर्य सम्बन्धी पीड़ा को शांत करने के लिए पिता की सेवा करे ।
चंद्रमा- चंद्रमा माता एवम उनसे सम्बंधित रिश्तेदार जैसे मौसी, मामी, मामा एवम चतुर्थ भाव का कारक है । चंद्रमा के बलहीन होने पर माता और माता पक्ष से सम्बंधित रिश्तेदारों की सेवा सेवा करें ।
मंगल- मंगल भाई, पराक्रम और तृतीय भाव का कारक है । मंगल की कृपा के लिए भाई के प्रति सम्मान, सेवा और सहायता का भाव रखे ।
बुध- बुध ग्रह भुआ, पुत्री, बहिन, व्यापार आदि का कारक है व्यापार सम्बंधित कठिनाइयों और बुध जनित दोषों को दूर करने के लिए भुआ, पुत्री और बहिन की सेवा करें ।
गुरु- ब्राह्मण, साधू और दादा एवम द्धितीय, पंचम तथा दशम भाव का कारक है विधा, धन अथवा पुत्र आदि की प्राप्ति के लिए गुरुजन, ब्राह्मण और साधू-संतो की सेवा करे ।
शुक्र- शुक्र, साली, पत्नी, ननन्द और स्त्री जातक के साथ सप्तम भाव का कारक है । शुक्र जनित दोषों के निवारण के लिए स्त्री जातको का सम्मान करें एवम उनकी सहायता करें ।
शनि- शनि सेवक, नोकर, दलित वर्ग और छठे भाव का कारक है । मुक़दमे, रोग या शयन सम्बन्धी पीड़ा को शांत करने के लिए इनके साथ अच्छा व्यवहार करें ।
राहू- राहू सास-ससुर का कारक है । राहू की दशा, राहू ही सूर्य अथवा चंद्रमा के साथ युति होने या राहूजन्य पीड़ा की शान्ति के लिए सास-ससुर की सेवा और सम्मान करें ।
केतु- केतु पुत्र और छोटे बच्चो का कारक है । केतु की दशा में अथवा केतु की सूर्य या चंद्रमा से युति होने पर दोष निवारण के लिए छोटे बच्चो और पुत्र के साथ अच्छा व्यवहार करें ।