कल बटुको के काशी दोड़ने की परम्परा संपन्न हुई इससे एक दिन पूर्व बटुको का ‘हाथकाम’, छींकी हुई बटुको को जनेउ डालने के पूर्व गुरु द्वारा गुरु मंत्र दिया जाता है, जिसका पालन बटुक को आजीवन करना पड़ता है । इसके कुछ नियम भी होती है इसके बाद बटुक द्वारा काशी की और दोड़ने की परम्परा निभाई जाती है जिसमे बटुक के हाथ में पाटी, गोटा, गेडिया व पंजिया लेकर दोड़ते है और उनके पीछे-पीछे बच्चे व बड़े उनके पीछे दोड़ते है और उसको रोकने की कोशिस करते है । अंत में बटुक किसी भगवन के मंदिर तक जाकर रुकता है और वापिस महिलाएं व पुरुष ‘केसरियो लाडो जीतो रे रे’ आशीर्वाद देते हुए वापिस निवास स्थान पर लेके आते है ।
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